देश में तेजी से बढ़ रहे बैटरी स्टोरेज प्रोजेक्ट्स, बीईएसएस मुनाफे में आई : रिपोर्ट

New Delhi, 5 अगस्त . बिना किसी फिक्स्ड कॉन्ट्रैक्ट्स के संचालित होने वाला भारत की बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) 2024 में पहली बार मुनाफा दर्ज किया है. Tuesday को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में चालू होने वाली नई बैटरी परियोजनाएं, बिजली एक्सचेंजों में परिचालन कर 17 प्रतिशत का इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न (आईआरआर) प्रदान कर सकती हैं, क्योंकि अग्रिम लागत में संभावित कमी आने की संभावना है. बीईएसएस को मर्चेंट बीईएसएस के रूप में जाना जाता है.

एनर्जी थिंक टैंक, एम्बर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बैटरी की घटती लागत और अस्थिर बिजली बाजारों से होने वाली अधिक आय ने इस बदलाव को प्रेरित किया.

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक दशक में बैटरी की लागत लगभग 80 प्रतिशत घटकर 2025 में 17 लाख रुपए प्रति मेगावाट घंटा हो गई है, जो 2015 में 79 लाख रुपए प्रति मेगावाट घंटा थी.

इसी दौरान, बाजार भागीदारी से संभावित राजस्व भी इसी अवधि में पांच गुना बढ़कर 2025 में 24 लाख रुपए प्रति मेगावाट घंटा हो गया है, जो 2015 में 5 लाख रुपए प्रति मेगावाट घंटा था.

रिपोर्ट के अनुसार, परिणामस्वरूप, 2024 में, मर्चेंट बीईएसएस का राजस्व पहली बार लागत से अधिक हो गया, जिससे यह एक बैंकेबल इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड एसेट बन गई.

एम्बर के ऊर्जा विश्लेषक दत्तात्रेय दास ने कहा, “मर्चेंट बीईएसएस को अक्सर कम रिटर्न वाला निवेश माना जाता रहा है. लेकिन थोक बिजली बाजार की बदलती गतिशीलता, बढ़ती कीमतों में अस्थिरता और घटती बैटरी लागत ने इसे आज एक व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य निवेश अवसर बना दिया है.”

उन्होंने आगे कहा, “आमतौर पर धूप के समय बैटरी सिस्टम चार्ज होते हैं जब बिजली सस्ती और प्रचुर मात्रा में होती है और जब मांग बढ़ती है और कीमतें पीक पर होती हैं, तो ग्रिड को बिजली वापस बेच देते हैं, जिससे कीमतों में उतार-चढ़ाव को प्रबंधित करने और अच्छा राजस्व अर्जित करने में मदद मिलती है.”

रिपोर्ट के अनुसार, बिजली एक्सचेंजों के डे-अहेड मार्केट (डीएएम) सेगमेंट में पीक कीमतें नई ऊंचाइयों को छू रही हैं.

हाल के वर्षों में डे-अहेड मार्केट में कीमतों में इस बढ़ी हुई अस्थिरता ने मर्चेंट बैटरियों के लिए मूल्य सृजन के अधिक अवसर पैदा किए हैं.

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2022 और 2024 के बीच हर छह में से एक घंटे में बिजली की कीमतें लगभग 10 रुपए/किलोवाट-घंटा की वर्तमान सीमा को छू रही हैं. इसी तरह, गर्मियों के महीनों के दौरान 2022 से 2024 तक दोपहर की बिजली की औसत कीमतों में लगभग 20 प्रतिशत की गिरावट आई है.

रिपोर्ट के अनुसार, एक्सचेंजों पर बिजली की कीमतों में उतार-चढ़ाव की संभावना है और अनुमान है कि केवल डीएएम में भागीदारी कर मर्चेंट बीईएसएस निवेश 2025 में किए गए निवेश की तुलना में 17 प्रतिशत तक का आंतरिक रिटर्न प्रदान कर सकता है.

एसकेटी/