नई दिल्ली, 28 जून . अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें भारत की धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर बड़ी टिप्पणी की गई है. इसके बाद देश में प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है.
ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के अध्यक्ष और अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख के उत्तराधिकारी सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा, “रिपोर्ट झूठी, फर्जी और मनगढ़ंत है. हम इसे खारिज करते हैं. हमारा संविधान सभी धर्मों के लोगों को पूरी तरह से स्वतंत्रता देता है. भारत में सरकार ने बिना किसी प्रतिबंध के सभी प्रकार की स्वतंत्रता सुनिश्चित की है.”
राजस्थान अजमेर के चिश्ती फाउंडेशन के अध्यक्ष हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने कहा, “दूसरे देशों की राय हमारे लिए मायने नहीं रखती. हमारा संविधान, कानून-व्यवस्था और बुनियादी ढांचा आंतरिक मामलों से निपटने में सक्षम है. हमारा संविधान हमारे सभी अधिकारों की रक्षा करता है और हमें अपनी पसंद के किसी भी धर्म का पालन करने की अनुमति देता है.”
सेंट्रल सिंह सभा गुरुद्वारा के अध्यक्ष निर्मल सिंह ने कहा, “अमेरिकी रिपोर्ट गलत है. भारत एक स्वर्ण युग में जी रहा है. आज हर धर्म के लोगों का संसद में प्रतिनिधित्व है. अगर अमेरिका ने यह सवाल 1980 या 1990 के दशक में उठाए होते तो मैंने उनका समर्थन किया होता, आज त्योहार भव्य तरीके से मनाए जाते हैं और हमें फंडिंग भी मिलती है.”
भारतीय सर्वधर्म संसद के राष्ट्रीय संयोजक महर्षि भृगु पीठाधीश्वर गोस्वामी सुशील महाराज ने कहा, “भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां हर कोई सुरक्षित है, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय का हो. मैं इस रिपोर्ट को खारिज करता हूं. भारत में अल्पसंख्यक सबसे सुरक्षित हैं और यह रिपोर्ट देश को कमजोर करने की कोशिश भर है.”
तख्त श्री पटना साहिब के अध्यक्ष जगजोत सिंह सोही ने कहा “रिपोर्ट निराधार और मनगढ़ंत है. भारत में अल्पसंख्यक सबसे सुरक्षित हैं और पीएम मोदी के नेतृत्व में सभी अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं. उनको समान अवसर मिल रहे हैं और वे फल-फूल रहे हैं.”
यूपी के बाराबंकी में देवा शरीफ दरगाह के वामिक वारसी ने भी इसी तरह की राय व्यक्त की.
लखनऊ के रहने वाले अधिवक्ता सुरेंद्र पाल बख्शी ने कहा, “अमेरिका द्वारा दिया गया बयान शर्मनाक है. यह हमारे देश का स्वर्णिम काल है. प्रधानमंत्री मोदी ने देश के लिए कदम उठाए हैं और उनके पास एक विजन है. पीएम मोदी के नेतृत्व में हमें विभिन्न योजनाएं मिल रही हैं.”
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एकेएस/एकेजे