पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा को 2006 के फर्जी मुठभेड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत

नई दिल्ली, 8 अप्रैल . सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आदेश दिया कि सेवानिवृत्त हाई-प्रोफाइल पुलिस अधिकारी और मुठभेड़ स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को 18 साल पुराने फर्जी मुठभेड़ मामले में अगले आदेश तक आत्मसमर्पण करने की जरूरत नहीं है.

न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ बॉम्बे उच्च न्यायालय के 19 मार्च के फैसले के खिलाफ शर्मा द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी. उच्च न्यायालय ने उन्हें बरी करने के निचली अदालत के फैसले को पलट दिया था और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

हाई कोर्ट ने शर्मा को तीन सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का भी आदेश दिया था.

हाई कोर्ट की जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और गौरी गोडसे की खंडपीठ ने यह कहते हुए कि ट्रायल कोर्ट ने शर्मा के खिलाफ उपलब्ध भारी सबूतों और फर्जी मुठभेड़ मामले में उनकी संलिप्तता को साबित करने वाले सबूतों की आम श्रृंखला को नजरअंदाज कर दिया था और बरी करने के आदेश को “विकृत” और “अस्थिर” बताया था.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने 11 नवंबर 2006 को राजेंद्र सदाशिव निखलजे उर्फ छोटा राजन के माफिया सिंडिकेट के कथित वरिष्ठ सदस्य रामनारायण गुप्ता (33) उर्फ लाखन भैया की मुठभेड़ में हत्या के मामले में 12 पुलिसकर्मियों सहित 13 अन्य आरोपियों को दी गई उम्रकैद की सजा को भी बरकरार रखा था.

शीर्ष अदालत मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद करेगी.

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