रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के बावजूद जलाशयों में सामान्य से ज्यादा पानी होने से राहत

नई दिल्ली, 13 अप्रैल . इस साल देश भर में पड़ रही रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के बावजूद देश के जलाशयों (रिजर्वायर) में एक साल पहले की तुलना में कहीं अधिक पानी उपलब्ध है. इससे मई-जून में सिंचाई और पीने के पानी को लेकर उपजी चिंताएं कुछ हद तक दूर हुई हैं.

केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) जिन 161 जलाशयों की स्थिति पर नजर रखता है, उनमें 3 अप्रैल 2025 को 72.91 बीसीएम (अरब घन मीटर) पानी उपलब्ध था. यह इन जलाशयों की क्षमता का लगभग 40 प्रतिशत है. हालांकि, एक साल पहले (63.83 बीसीएम) की तुलना में पानी की उपलब्धता 14.23 प्रतिशत और सामान्य स्तर (61.793 बीसीएम) की तुलना में 17.99 प्रतिशत अधिक है.

जलाशयों में पानी ज्यादा होने की एक वजह पिछले साल मानसून का अच्छा होना है. भारतीय मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, साल 2024 में दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान (जून-सितंबर) सामान्य से आठ प्रतिशत अधिक बारिश हुई. निजी मौसम अनुमान एजेंसी स्काईमेट ने इस साल भी मानसून में सामान्य से तीन प्रतिशत अधिक बारिश का अनुमान व्यक्त किया है. इससे खेतीबाड़ी को लेकर किसानों की चिंता भी दूर हुई है. एजेंसी का कहना है कि इस साल ला नीना प्रभाव समाप्त हो रहा है और अल नीनो की आशंका नहीं है. इसलिए मानसून सामान्य रहेगा.

क्षेत्रवार आंकड़ों पर गौर करें तो सीडब्ल्यूसी के अनुसार, उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में एक साल पहले की तुलना में इस साल जलाशयों में पानी कम है. वहीं, मध्य, दक्षिण और पश्चिमी क्षेत्रों में पिछले साल इसी समय के मुकाबले ज्यादा पानी है.

पूर्वी क्षेत्र में असम, बिहार, झारखंड, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल आते हैं. इस क्षेत्र के जलाशयों में 3 अप्रैल को 8.150 बीएमसी पानी था जबकि पिछले साल इसी समय 10.194 बीएमसी पानी था. यह लगभग 20 प्रतिशत की गिरावट है.

उत्तरी क्षेत्र में जलाशयों के स्तर में करीब 30 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. इनमें पानी का कुल स्तर 4.555 बीएमसी है जो एक साल पहले 6.410 बीएमसी था. इस क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान शामिल हैं.

मध्य क्षेत्र में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के जलाशयों में पानी की कुल मात्रा 22.021 बीएमसी है जो एक साल पहले 21.033 बीएमसी थी.

दक्षिणी क्षेत्र के जलाशयों में पानी का स्तर पिछले साल के मुकाबले लगभग दोगुना है. यह 3 अप्रैल को 20.092 बीएमसी था जो एक साल पहले 11.174 बीएमसी रहा था. इस क्षेत्र में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं.

पश्चिमी क्षेत्र में गोवा, गुजरात और महाराष्ट्र के जलाशयों में पानी की उपलब्धता 20 प्रतिशत बढ़ी है. यह फिलहाल 18.092 बीएमसी है जबकि एक साल पहले यह 15.020 बीएमसी थी.

सामान्य स्तर से तुलना करें तो पूर्वी क्षेत्र में पानी का स्तर 16 प्रतिशत और उत्तरी क्षेत्र में लगभग 28 प्रतिशत कम हुआ है. वहीं, दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्र के जलाशयों में सामान्य से 35 प्रतिशत तथा मध्य क्षेत्र के जलाशयों में सामान्य से करीब 25 प्रतिशत ज्यादा पानी है.

किसी भी जलाशय के लिए पिछले 10 साल के औसत स्तर को सामान्य माना जाता है.

राज्यों पर नजर डालें तो मिजोरम में स्थिति सबसे खराब है जहां सामान्य की तुलना में 99.4 प्रतिशत कम पानी है. पंजाब में सामान्य से 56.8 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश में 39.77 प्रतिशत और बिहार में 37.2 प्रतिशत कम पानी है. इन राज्यों में आने वाले समय में दिक्कत हो सकती है.

वहीं, मेघालय के जलाशयों में सामान्य से 73 प्रतिशत और तमिलनाडु में 71 प्रतिशत अधिक पानी है. गुजरात में सामान्य से 64 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 50-50 प्रतिशत, त्रिपुरा में 46 प्रतिशत और असम में सामान्य से 40 प्रतिशत अधिक पानी है.

एकेजे/