काबुल, 5 सितंबर . अफगानिस्तान में एक बार फिर 5.6 तीव्रता का भूकंप आया है. इसका केंद्र नांगरहार प्रांत की राजधानी जलालाबाद से 14 किलोमीटर पूर्व में था. यह जानकारी अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने दी.
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, Thursday को आए भूकंप का केंद्र 34.72 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 70.79 डिग्री पूर्वी देशांतर पर 10 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था.
जीएफजेड जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज ने भूकंप की तीव्रता 6.2 मापी.
यह ताजा भूकंप हाल के दिनों में नांगरहार और पड़ोसी कुनार, लघमन और नूरिस्तान प्रांतों में आए भूकंपों की एक सीरीज के बाद आया है.
सबसे विनाशकारी, 6.0 तीव्रता का भूकंप Sunday देर रात आया, जिससे व्यापक विनाश और जान-माल का भारी नुकसान हुआ.
आधिकारिक रिपोर्टों में 2,200 से ज्यादा लोगों की मौत और 3,600 से ज्यादा लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई है. अभी भी प्रभावित क्षेत्रों में बचाव अभियान जारी है.
ताजा भूकंप के बाद इलाके को हाई अलर्ट पर रखा गया है. वहीं, अधिकारी और सहायता संगठन बढ़ते संकट से जूझ रहे हैं.
तालिबान सरकार के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने Monday को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मरने वालों की संख्या कम से कम 800 हो गई है और 2,500 से ज्यादा घायल हुए हैं. ज्यादातर हताहत कुनार में हुए हैं.
अफगानिस्तान में इमारतें आमतौर पर कम ऊंचाई वाली होती हैं. इनमें से ज्यादातर कंक्रीट और ईंटों से बनी होती हैं, ग्रामीण और बाहरी इलाकों में घर मिट्टी की ईंटों और लकड़ी से बने होते हैं. कई घरों का निर्माण तय मानकों के अनुसार नहीं किया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त फिलिपो ग्रांडी ने कहा कि भूकंप ने अफगानिस्तान में मौजूदा मानवीय चुनौतियों को और बढ़ा दिया है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं से राहत कार्यों में सहयोग करने का आग्रह किया.
उन्होंने social media प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “इससे सूखे और पड़ोसी देशों से लाखों अफगानों की जबरन वापसी जैसी अन्य चुनौतियों में मौत और विनाश भी शामिल हो गया है. उम्मीद है कि दान करने वाले राहत कार्यों में सहयोग करने में संकोच नहीं करेंगे.”
इसके पहले 31 अगस्त को आए भूकंप से अफगानिस्तान में भी काफी तबाही मची थी. अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण के अनुसार, यह 6.0 तीव्रता का भूकंप 31 अगस्त की रात 11:47 बजे स्थानीय समय पर, आठ किलोमीटर की गहराई पर आया था.
प्रभावित क्षेत्र भूकंपीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील है. यहां भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट्स मिलती हैं. पहाड़ी भूभाग भूस्खलन की आशंका को और बढ़ा देता है, जिससे बचाव कार्य मुश्किल हो जाता है.
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एबीएम/