ढाका, 27 मई . बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जमात-ए-इस्लामी के नेता एटीएम अजहरुल इस्लाम को बड़ी राहत दी. कोर्ट ने अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) द्वारा दी गई मौत की सजा को रद्द करते हुए उन्हें बरी कर दिया. इससे पहले उन्हें 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान युद्ध अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था.
एटीएम अजहरुल इस्लाम पर 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध करने के आरोप लगाए गए थे.
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, आरोप पत्र में कहा गया है कि कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी का नेता मुक्ति संग्राम के दौरान रंगपुर इलाके में 1,256 लोगों की हत्या, 17 लोगों के अपहरण और 13 महिलाओं से बलात्कार के लिए जिम्मेदार था.
स्थानीय मीडिया के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने जेल अधिकारियों से कहा है कि अगर अजहरुल के खिलाफ कोई और मामला नहीं चल रहा है, तो उसे तुरंत रिहा कर दिया जाए.
अतीत में कई आरोपों में दोषी पाए जाने के बावजूद मुख्य न्यायाधीश सैयद रेफात अहमद की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच ने अजहरुल की अपील पर सुनवाई के बाद बरी करने का फैसला सुनाया.
अगस्त 2012 में इस्लाम को मानवता के खिलाफ अपराध के आरोप में ढाका के मोघबाजार स्थित घर से गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में है.
दिसंबर 2014 में अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने अजहरुल को नौ में से पांच आरोपों में दोषी मानते हुए मौत की सजा सुनाई थी.
अजहरुल को रंगपुर इलाके में 1971 के दौरान हुई सामूहिक हत्या, अपहरण और यातना का दोषी पाया गया था, जहां एक हजार से ज्यादा लोगों की जान ली गई थी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस्लामी पार्टी के नेता ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान लोगों पर अत्याचार किए, सैकड़ों घरों को जलाया और कई अन्य हिंसक काम किए.
फैसले को चुनौती देते हुए अजहरुल ने जनवरी 2015 में अपील दायर की थी. हालांकि, तब के मुख्य न्यायाधीश सैयद महमूद की अध्यक्षता वाली बेंच ने अक्टूबर 2019 में मौत की सजा को बरकरार रखा.
15 मार्च 2020 को पूरा फैसला सामने आने के बाद उन्होंने समीक्षा याचिका दायर की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया.
अपीलीय प्रभाग ने समीक्षा याचिका की सुनवाई के बाद 26 फरवरी को अपील की अनुमति दी और मामले का सारांश पेश करने का निर्देश दिया, जिसे बाद में जमा किया गया.
बांग्लादेश के एक प्रमुख दैनिक अखबार ‘प्रथोम अलो’ के अनुसार, अपील की सुनवाई के बाद अदालत ने मंगलवार को अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए अजहरुल को बरी कर दिया.
पिछले साल मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने सत्ता संभालते ही जमात-ए-इस्लामी और उसकी छात्र शाखा ‘इस्लामी छात्र शिबिर’ पर लगी रोक खत्म कर दी थी.
ये कट्टरपंथी समूह पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की चुनी हुई सरकार को हटाने के लिए छात्र नेताओं और यूनुस के साथ-साथ काम करते थे.
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एसएचके/केआर