भाजपा सांसद ने केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई को लेकर कहा, जमानत मिलने का मतलब यह नहीं है कि उन्हें केस से बरी कर दिया गया है

नई दिल्ली, 5 सितंबर . दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस बीच उनकी जमानत याचिका पर दिल्ली से भाजपा सांसद योगेंद्र चंदोलिया ने कहा, ‘कोर्ट का जो भी फैसला होगा, उसे स्वीकार किया जाएगा.

लेकिन, जमानत मिलने पर पटाखे फोड़ना, माला पहनाना और सत्यमेव जयते का नारा लगाना अनुचित है और ऐसा नहीं होना चाहिए. क्योंकि, जमानत मिलने का मतलब यह नहीं है कि उन्हें केस से बरी कर दिया गया है.

बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली की कथित शराब घोटाला मामले में जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए अहम सुनवाई हुई है. सुप्रीम कोर्ट अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई कर चुका है.

अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी नीति मामले में आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया, बीआरएस नेता के. कविता को जमानत दी थी. सिसोदिया जहां करीब डेढ़ साल बाद जेल से बेल पर बाहर आए. वहीं, के. कविता की जेल से पांच माह बाद रिहाई हुई.

सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी और उसके बाद रिमांड आदेशों को चुनौती दी थी. भ्रष्टाचार के मामले में जमानत की गुहार लगाई थी. कोर्ट में केजरीवाल ने विशेष अनुमति याचिका दायर की, जिसपर आज सुनवाई हुई.

वहीं, सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा, समय के साथ यह बात सामने आई कि नई आबकारी नीति के निर्माण में सभी महत्वपूर्ण निर्णय याचिकाकर्ता (केजरीवाल) के इशारे पर तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया की मिलीभगत से लिए गए थे. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, यह स्पष्ट होने लगा कि नई आबकारी नीति के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी.

सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सीएम केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. हालांकि, सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से वह जेल से बाहर नहीं आ पाए.

डीकेएम/जीकेटी