नई दिल्ली, 3 मार्च . भारतीय वायुसेना प्रमुख ने हाल ही में लड़ाकू विमान की घटती संख्या और नए विमान न मिलने पर चिंता जताई थी. अब रक्षा सचिव की अध्यक्षता वाली एक समिति ने सिफारिश की है कि वायुसेना की क्षमता में सुधार के लिए निजी क्षेत्र के साथ मिलकर काम किया जाए.
रक्षा सचिव की रिपोर्ट में कहा गया है कि वायुसेना की क्षमता बेहतर करने के लिए डीआरडीओ, डिफेंस सेक्टर से जुड़े पीएसयू और निजी क्षेत्र मिलकर काम करें. सोमवार को रक्षा सचिव ने भारतीय वायुसेना की क्षमता बढ़ाने के लिए बनाई गई अधिकार प्राप्त समिति की यह रिपोर्ट रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपी, इस दौरान वायुसेना प्रमुख एपी सिंह भी मौजूद रहे.
बीते सप्ताह वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने कहा था कि भारतीय वायुसेना को प्रति वर्ष करीब 35 से 40 नए फाइटर जेट अपने बेड़े में शामिल करने की जरूरत है. फाइटर जेट की जरूरत और मौजूदा कमी को दूर करने के लिए वायुसेना प्रमुख ने भी निजी क्षेत्र की भागीदारी का सुझाव दिया था. वहीं, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने इस विषय से जुड़े प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है और लघु, मध्यम तथा दीर्घकालिक कार्यान्वयन के लिए अपनी सिफारिशें दी हैं. ये सिफारिशें भारतीय वायु सेना की क्षमता व लक्ष्य प्राप्त करने के लिए हैं. रिपोर्ट में निजी क्षेत्र को डिफेंस पीएसयू और डीआरडीओ के प्रयासों का पूरक बनाने की बात कही गई है. इसके साथ एयरोस्पेस क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है.
रक्षा मंत्री ने समिति के काम की सराहना की और निर्देश दिया कि सिफारिशों का समयबद्ध तरीके से पालन किया जाए. दरअसल, भारतीय वायुसेना को फाइटर जेट की मौजूदा कमी को पूरा करने की जरूरत है. अगले कुछ वर्षों में पुराने बेड़ों के मिराज, मिग-29 और जगुआर चरणबद्ध तरीके से बाहर हो जाएंगे. ऐसे में विमानों की कमी दूर करने लिए हर साल करीब 35 से 40 लड़ाकू विमानों की जरूरत है.
एयरफोर्स चीफ ने हाल ही में कहा है कि हमें प्रति वर्ष दो स्क्वाड्रन जोड़ने की जरूरत है, जिसका मतलब है कि हमें प्रति वर्ष 35-40 विमानों की आवश्यकता है. यह क्षमता रातों रात नहीं आ सकती. वायुसेना प्रमुख के मुताबिक, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने अगले साल 24 तेजस मार्क-1ए जेट बनाने का वादा किया है, और वह इससे खुश हैं. हालांकि, इसके साथ ही वायुसेना प्रमुख ने लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाने के लिए निजी कंपनियों पर विचार करने का सुझाव दिया. यहां इसके लिए उन्होंने टाटा और एयरबस के संयुक्त उद्यम द्वारा सी-295 परिवहन विमान के निर्माण का हवाला दिया.
उन्होंने कहा कि हम निजी भागीदारी से प्रति वर्ष 12 से 18 जेट और प्राप्त कर सकते हैं. सभी मुद्दों की समग्र जांच करने और स्पष्ट कार्य योजना तैयार करने के लिए रक्षा मंत्री के निर्देश पर बीते वर्ष दिसंबर में रक्षा सचिव की अध्यक्षता वाली इस समिति का गठन किया गया था. इसमें वायु सेना उप प्रमुख, सचिव (रक्षा उत्पादन), रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष आदि थे. लड़ाकू विमानों की कमी झेल रही भारतीय वायुसेना ने बीते वर्ष हुए वायुसेना कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में रक्षा मंत्री को एक प्रेजेंटेशन भी दिया था. इसमें भविष्य के लड़ाकू विमानों की जरूरतों की जानकारी दी गई थी. चीन व पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के मोर्चों व किसी भी खतरे से निपटने के लिए वायुसेना की क्षमता व जरूरतों के बारे में भी रक्षा मंत्री को जानकारी दी गई थी. इसके बाद एक समिति का गठन किया गया, जिसने सोमवार 3 मार्च को अपनी रिपोर्ट रक्षा मंत्री को दी है.
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जीसीबी/एफजेड