Mumbai , 6 अगस्त . भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने Wednesday को कहा कि जब तक कि कोई जवाबी टैरिफ न लगाया जाए, अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा.
मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरबीआई गवर्नर ने कहा, “अमेरिकी टैरिफ को लेकर जारी अनिश्चितता का भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ सकता है. यह जवाबी टैरिफ के लागू होने पर निर्भर है, जिसकी हमें कोई उम्मीद नहीं है.”
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापार तनाव पर टिप्पणी करने के लिए कहे जाने पर उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि हम एक सौहार्दपूर्ण समाधान निकाल लेंगे.”
आरबीआई गवर्नर मल्होत्रा ने यह भी बताया कि आरबीआई ने कुछ वैश्विक अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए अपने जीडीपी विकास अनुमान को पहले ही 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है.
उन्होंने आगे कहा कि आरबीआई को विश्वास है कि उसका विदेशी मुद्रा भंडार 11 महीने के आयात के लिए पर्याप्त है.
उन्होंने कहा, “हमें अपनी जरूरतें बाहरी क्षेत्र से पूरी करने का पूरा भरोसा है.”
भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद कम करने पर घरेलू मुद्रास्फीति के संभावित प्रभाव के बारे में उन्होंने कहा कि यह ध्यान रखना जरूरी है कि भारत केवल रूस से ही नहीं, बल्कि कई दूसरे देशों से तेल खरीदता है.
उन्होंने आगे कहा, “हमें दो बातों का ध्यान रखना होगा पहली यह कि हम न केवल रूसी तेल ले रहे हैं, बल्कि कई अन्य देशों से भी तेल ले रहे हैं. अगर मिश्रण में बदलाव होता है तो इसकी कीमतों पर पड़ने वाले प्रभाव और कच्चे तेल की वैश्विक कमोडिटी कीमतें क्या रहेंगी, यह इन बातों पर निर्भर करेगा. दूसरी बात यह कि उत्पाद शुल्क और दूसरे टैरिफ के रूप में इसका कितना प्रभाव सरकार वहन करती है, यह इस बात पर निर्भर करेगा. इसलिए, फिलहाल हमें मुद्रास्फीति पर इसका कोई बड़ा असर नहीं दिख रहा है क्योंकि मुझे लगता है कि अगर कोई ‘प्राइस शॉक’ लगता है, तो सरकार राजकोषीय पक्ष पर उचित फैसला लेगी.”
आरबीआई की डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता ने कहा, “मुद्रास्फीति पर इसका प्रभाव बहुत सीमित रहने की संभावना है. हमारी मुद्रास्फीति बास्केट में लगभग आधा हिस्सा खाद्य पदार्थों का है, जिस पर वैश्विक घटनाक्रमों का सीधा असर नहीं पड़ता.”
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