‘भारत के मामलों में दखल देने का अधिकार नहीं’, अयातुल्ला अली खामेनेई की टिप्पणी पर राशिद अल्वी की खरी-खरी

नई दिल्ली, 17 सितंबर . ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई की ओर से भारत में मुस्लिम समुदाय की स्थिति को लेकर की गई टिप्पणी के बाद सियासत गर्मा गई है.

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने कहा कि, जब पूरी दुनिया में खबरें जाती हैं कि भारत में मस्जिदों को तोड़ा जा रहा है, मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर चल रहा है, कोई मुख्यमंत्री कह रहा है कि मैं मिट्टी में मिला दूंगा, कोई मुख्यमंत्री कह रहा है कि मैं गर्मी निकाल दूंगा, तो इन बातों का असर तो पूरी दुनिया में होता है और यही कारण है कि ईरान के बड़े नेता ने इस तरीके का बयान दिया है.

उन्होंने आगे कहा कि मेरा मानना है कि दुनिया के बड़े नेताओं को कोई हक नहीं है कि हमारे मामले में वो दखल दें. लेकिन, भारत सरकार और प्रधानमंत्री मोदी को विचार करना चाहिए कि आखिर ऐसे हालात क्यों पैदा हो गए कि ईरान के अयातुल्ला खामेनेई को यह बयान देना पड़े कि हिंदुस्तान के अंदर मुसलमान महफूज नहीं हैं. इससे पूरी दुनिया में भारत की छवि खराब होती है.

सत्ता पक्ष की ओर से इस टिप्पणी के पीछे राहुल गांधी के विदेश दौरे के दौरान दिये गए उनके बयान को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. जिसको लेकर राशिद अल्वी ने कहा कि राहुल गांधी ने तो विदेश में जाकर मुसलमानों का नाम तक नहीं लिया तो उसका असर कैसे हो जाएगा? इसका असर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, गिरिराज सिंह के बयान की वजह से है. भाजपा के यह नेता जो कुछ बोलते हैं, उसका असर पूरी दुनिया में होता है. उसी का नतीजा है कि अयातुल्ला अली खामेनेई ने यह बयान दिया है.

उन्होंने आगे कहा कि, वन नेशन, वन इलेक्शन का कोई ब्लूप्रिंट नहीं है. आप चार स्टेट का इलेक्शन एक साथ नहीं कर सकते. आप यूपी जैसे स्टेट का चुनाव सात चरणों में करते हैं और आप कहते हैं कि पूरे देश का चुनाव एक साथ कराएंगे, यह सिर्फ देश के लोगों का गुमराह करने के लिए है. विपक्ष को आप कॉन्फिडेंस में नहीं लेते, किस तरह करेंगे. अमित शाह हमेशा इस तरह का बयान देते रहते हैं. बहुत सारी बातें राजनीति में जो एक जुमला होती है, ऐसे में यह भी उनका एक जुमला हो सकता है.

दिल्ली के सियासी हलचल पर उन्होंने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट ने जो केजरीवाल को बेल दी है, वह शर्तें के आधार पर दी है. वह किसी फाइल को पढ़ नहीं सकते, फैसला नहीं कर सकते, दस्तखत नहीं कर सकते, तो सिर्फ मुख्यमंत्री का एक टैग लेकर वह क्या करेंगे. इसलिए उनको इस्तीफा देना पड़ रहा है और नए मुख्यमंत्री को चुनना पड़ रहा है.

एकेएस/जीकेटी