नई दिल्ली, 8 अप्रैल . ब्रिटेन के वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह पाया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान लंबे समय तक लगे प्रतिबंधों की वजह से लोगों की ‘इम्युनिटी डेब्ट’ की स्थिति बनी, जिससे अब दुनिया भर में फ्लू फैलने के तरीके में बदलाव देखने को मिल रहा है.
जब लोग लंबे समय तक बीमारियों के संपर्क में नहीं आते, तो उनके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (रोगों से लड़ने की ताकत) कमजोर हो जाती है. इसी को ‘इम्युनिटी डेब्ट’ कहा जाता है. इसका मतलब है कि अब लोग सामान्य संक्रमणों के लिए भी ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं.
कोविड महामारी के समय दुनियाभर के देशों ने लॉकडाउन, सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना और यात्रा पर रोक जैसी सख़्त सावधानियां अपनाई थी. इन उपायों ने कोविड को रोकने में मदद की, लेकिन साथ ही फ्लू और अन्य सांस से जुड़ी बीमारियों के मामलों में बहुत तेज गिरावट भी देखी गई.
लेकिन अब कोविड के बाद, दुनिया भर में फ्लू के मामलों में अचानक तेज बढ़ोतरी हुई है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि ‘इम्युनिटी डेब्ट’ के कारण आने वाले वर्षों में फ्लू के बड़े प्रकोप हो सकते हैं, क्योंकि अब लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है और वे अन्य वायरस से संक्रमित होने के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो गए हैं.
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डैनियल प्रिएटो-अल्हाम्ब्रा ने कहा, “हमारे अध्ययन से यह साफ हुआ है कि पिछले कुछ वर्षों में फ्लू के संपर्क में न आने से लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो गई है, और अब संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है. राहत की बात यह है कि इसके प्रभाव को कम करने के लिए रणनीतियां मौजूद हैं और फ्लू के टीकाकरण को बढ़ावा देना जरूरी है.”
यह अध्ययन एडवांस्ड साइंस नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है. इसमें 2012 से 2024 तक 116 देशों के फ्लू से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया गया.
पता चला कि कोविड के प्रतिबंधों के दौरान फ्लू के मामलों में औसतन 46 प्रतिशत की गिरावट आई थी. लेकिन जैसे ही 2022 में प्रतिबंध हटे, उसी सर्दी के मौसम में फ्लू के मामलों में औसतन 132% की बढ़ोतरी हुई.
शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि जिन देशों में कोविड के दौरान सख्त प्रतिबंध लगे थे, वहां बाद में फ्लू के मामलों में ज़्यादा उछाल देखा गया. इसलिए वैज्ञानिकों ने स्वास्थ्य विभागों से आग्रह किया है कि भविष्य में जब भी कोई महामारी हो, तो ‘इम्युनिटी डेब्ट’ के खतरे को ध्यान में रखकर योजना बनाई जाए.
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