रांची, 31 मार्च . हरमू ईदगाह के इमाम मौलाना असगर मिस्बाही ने ईद-उल-फितर के मौके पर मीडिया से बातचीत में मोहब्बत और एकता का संदेश दिया. उन्होंने कहा कि ईद मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार है, जो रमजान के रोजों, तरावीह की नमाज और कुरान की तिलावत के बाद आता है. यह अल्लाह की ओर से इनाम है. ईद में नमाज पढ़ी जाती है, दुआ मांगी जाती है और सादगी के साथ इसे मनाया जाता है.
मौलाना ने ईद के पैगाम को सबके लिए बताया. उन्होंने कहा कि ईद का संदेश मोहब्बत, भाईचारा और इंसानियत का है. इस्लाम सिखाता है कि हर इंसान से प्यार करो. चाहे कोई त्योहार हो, शादी का मौका हो या दुख की घड़ी, हमें सबके साथ खड़ा होना चाहिए. हिंदुस्तान की खूबसूरती यही है कि यहां हर मजहब के लोग रहते हैं. संविधान ने सबको अपने धर्म के मुताबिक जीने का हक दिया है.”
उन्होंने कहा कि इस देश में हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई जैसे अलग-अलग फूलों की खूबसूरती है. अगर एक ही रंग थोप दिया जाए, तो यह खूबसूरती खत्म हो जाएगी. मुल्क की हिफाजत सबकी जिम्मेदारी है.
उन्होंने नफरत फैलाने वालों पर निशाना साधा. कहा कि कुछ लोग इस मुल्क में नफरत फैलाना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि नफरत खत्म हो और मोहब्बत बढ़े. ईद का पैगाम यही है कि सबके सुख-दुख में शामिल हों, यह न देखें कि कोई किस धर्म का है. इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है. मौलाना ने सियासतदानों से भी अपील की कि वे अपने फर्ज को समझें और मोहब्बत का माहौल बनाएं
वक्फ बिल संशोधन पर मौलाना ने चिंता जताई. उन्होंने कहा, “अगर यह बिल पास हुआ, तो मस्जिदें, मदरसे और वक्फ की संपत्ति खतरे में पड़ सकती है. मुसलमानों का वजूद खतरे में आ सकता है. पूरे हिंदुस्तान के मुसलमान इसके खिलाफ हैं. सरकार को इसे वापस लेना चाहिए. कुछ बदलाव हो सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं कि सब खत्म हो जाए.”
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एसएचके/केआर