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Mumbai , 9 नवंबर . फिल्मों में भयानक आंखें, डरावनी हंसी और आवाज में ऐसी कठोरता कि दर्शकों की रूह कांप जाए, ये छवि है Actor आशुतोष राणा की, जिन्हें हिंदी सिनेमा के सबसे खतरनाक खलनायकों में गिना जाता है. लेकिन, पर्दे के पीछे की सच्चाई इससे बिल्कुल उलट है. स्क्रीन पर डराने वाला यह कलाकार असल जिंदगी में बेहद शांत, विनम्र और आध्यात्मिक इंसान हैं.
आशुतोष राणा का जन्म 10 नवंबर 1967 को Madhya Pradesh के गाडरवारा में हुआ था. बचपन से ही वे पढ़ाई में अच्छे थे और शुरू में उनका सपना राजनीति में आने का था. वे कॉलेज के समय में छात्र राजनीति में सक्रिय रहे और इस दौरान थिएटर से भी जुड़े. थिएटर करते-करते उनका झुकाव राजनीति के बजाय अभिनय की ओर बढ़ने लगा. इसके बाद उन्होंने दिल्ली के मशहूर नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) से अभिनय की ट्रेनिंग ली. यहीं से उनके सफर की नींव पड़ी.
साल 1995 में उन्होंने टीवी सीरियल ‘स्वाभिमान’ से अपना करियर शुरू किया. इसके बाद वे ‘फर्ज’, ‘साजिश’, ‘वारिस’ और ‘काली- एक अग्निपरीक्षा’ जैसे सीरियल्स में नजर आए. उन्होंने अपनी मेहनत और जुनून के कारण फिल्मों में अपनी जगह बनाई.
आशुतोष राणा की पहली बड़ी पहचान 1998 में फिल्म ‘दुश्मन’ से बनी. तनुजा चंद्रा निर्देशित इस फिल्म में उन्होंने एक साइको किलर गोकुल पंडित का किरदार निभाया था. यह किरदार इतना डरावना था कि दर्शक सिनेमाघर से निकलकर भी उस चेहरे को भूल नहीं पाए. इसके अगले ही साल उन्होंने फिल्म ‘संघर्ष’ में लज्जा शंकर पांडे का किरदार निभाया, जिसने उनकी पहचान को और मजबूत कर दिया. लोग कहते हैं कि ‘संघर्ष’ के बाद हिंदी फिल्मों में विलेन का किरदार हमेशा के लिए बदल गया. इन दोनों फिल्मों के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड फॉर बेस्ट विलेन से नवाजा गया.
एक तरफ, जहां पर्दे पर उनका चेहरा दर्शकों के दिलों में डर पैदा करता था, वहीं दूसरी तरफ असल जिंदगी में वह बेहद आध्यात्मिक और विनम्र स्वभाव के इंसान हैं. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वह खुद को ध्यान, शांति और सीखने से जोड़कर रखते हैं. उनका मानना है कि एक अच्छा Actor वही है, जो भीतर से शांत और स्थिर हो. वे महादेव के भक्त हैं और रोज ध्यान करते हैं.
आशुतोष राणा ने सिर्फ हिंदी फिल्मों में ही नहीं, बल्कि तमिल, तेलुगु और कन्नड़ सिनेमा में भी दमदार काम किया है. उन्होंने ‘राज’, ‘हासिल’, ‘आवरापन’, ‘मुल्क’, ‘सोनचिरैया’ और ‘पठान’ जैसी कई यादगार फिल्मों में अपनी छाप छोड़ी. वह विक्की कौशल की फिल्म ‘छावा’ में मराठा योद्धा सरसेनापति हम्बीरराव मोहिते के किरदार में नजर आए.
आशुतोष राणा सिर्फ Actor नहीं, बल्कि एक लेखक और विचारक भी हैं. उन्होंने ‘मौन मुस्कान की मार’ और ‘रामराज’ नामक दो किताबें लिखी हैं, जिनमें जीवन और समाज की गहरी बातें सरल भाषा में कही गई हैं.
आशुतोष राणा को अपने अभिनय के लिए स्क्रीन अवॉर्ड, जी सिने अवॉर्ड और फिल्मफेयर अवॉर्ड्स सहित कई सम्मान मिल चुके हैं. 2021 में उन्हें फिल्म ‘पगलैट’ में पिता के किरदार के लिए फिल्मफेयर ओटीटी अवॉर्ड से भी नवाजा गया.
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पीके/एबीएम