रामबन बाढ़: जम्मू-श्रीनगर हाईवे लगातार तीसरे दिन भी बंद रहा

जम्मू, 22 अप्रैल . जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे मंगलवार को लगातार तीसरे दिन भी बंद रहा. अधिकारियों ने कहा कि हाईवे को बहाल करने में पांच दिन और लगेंगे.

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के इंजीनियरों ने बताया कि हाईवे 22 स्थानों पर क्षतिग्रस्त है और मरम्मत का काम तेजी से किया जा रहा है.

रविवार को रामबन जिले में अचानक आई बाढ़ के कारण हुए भूस्खलन में तीन लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 100 से अधिक लोगों को बचाया गया था. जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे का लगभग 4 से 5 किलोमीटर हिस्सा पूरी तरह बह गया और मलबे के नीचे कई वाहन दब गए.

कई सौ यात्री हाईवे पर फंसे हुए हैं. अधिकारी फंसे हुए यात्रियों को आश्रय और भोजन उपलब्ध कराने के लिए आगे आए हैं. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला राहत अभियान का व्यक्तिगत निरीक्षण करने और नुकसान का आकलन करने के लिए सोमवार को हाईवे पर काली मोड़ पहुंचे थे.

सीएम ने कहा था कि नुकसान बहुत बड़ा है, लेकिन आपदा स्थानीय स्तर पर हुई है. इसलिए इसे ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित नहीं किया जा सकता. हालांकि, मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने आश्वासन दिया कि प्रभावित परिवारों को हर संभव राहत और सहायता प्रदान की जाएगी.

वहीं, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार से प्रभावित परिवारों के लिए राहत राशि देने का अनुरोध किया है.

इस बीच, कश्मीर के डिविजनल कमिश्नर वीके बिधूड़ी ने घाटी के लोगों से फिर अपील की है कि वे घबराहट में खरीदारी न करें, क्योंकि यहां दो हफ्तों तक चलने के लिए खाद्यान्न और पेट्रोलियम उत्पादों का पर्याप्त भंडार है.

लोग अपनी दैनिक जरूरत से कहीं अधिक पेट्रोल और डीजल खरीदने के लिए घाटी भर में पेट्रोल पंपों पर भीड़ लगा रहे हैं. गांदरबल जिले में एक पेट्रोल पंप के कर्मचारी ने कहा, “घबराहट में की गई खरीदारी के कारण स्टॉक खत्म हो रहा है, क्योंकि हम हर दिन सामान्य से तीन गुना अधिक वाहन चालकों की भीड़ देख रहे हैं.”

दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले को जम्मू डिवीजन के राजौरी जिले से जोड़ने वाला मुगल रोड फिलहाल हल्के मोटर वाहनों (एलएमवी) के लिए एकतरफा यातायात के लिए खुला है.

जम्मू-श्रीनगर हाईवे की नाकाबंदी के कारण हवाई टिकटों की भी होड़ मच गई है, क्योंकि घाटी से बाहर जाने वाले पर्यटक और स्थानीय लोग स्थलीय यात्रा की अनिश्चितता के मुकाबले हवाई यात्रा को प्राथमिकता दे रहे हैं.

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