गोला-बारूद उत्पादन में 88 प्रतिशत आत्मनिर्भरता हासिल : राजनाथ सिंह

नई दिल्ली, 24 फरवरी . भारत ने गोला-बारूद उत्पादन में 88 प्रतिशत आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है. सोमवार को यह जानकारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी. उन्होंने आईआईटी मंडी के डीआरडीओ के साथ मौजूदा सहयोग की सराहना की. साथ ही आईआईटी से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) संचालित युद्ध, स्वदेशी एआई चिप विकास, साइबर सुरक्षा और क्वांटम प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अधिक योगदान का आह्वान किया.

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का दूरसंचार क्षेत्र अब दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है. यूपीआई जैसी पहलों की सफलता के साथ, भारत डिजिटल लेनदेन में वैश्विक मानक स्थापित कर रहा है. हम एक अद्वितीय डिजिटल क्रांति की कगार पर हैं.

उन्होंने आईआईटी मंडी के 16वें स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का तकनीकी क्षेत्र विस्‍तार ले रहा है और अगले पांच वर्षों में इसके 300-350 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. 1.25 लाख से अधिक स्टार्टअप और 110 यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर यानी 8,200 करोड़ रुपये से ज्यादा वैल्यूएशन वाली स्टार्टअप कंपनी) के साथ हमारा देश-दुनिया में तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप प्रणाली के रूप में उभर रहा है.

राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में राजनाथ सिंह ने आईआईटी मंडी से रक्षा संबंधी प्रौद्योगिकियों में और अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आग्रह किया. रक्षा मंत्री ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता में भारत की प्रगति पर भी प्रकाश डाला.

उन्होंने बताया, “भारत ने गोला-बारूद उत्पादन में 88 प्रतिशत आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है और 2023-24 में रक्षा निर्यात लगभग 23,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. इसे 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्‍य है. उन्होंने आईआईटी के छात्रों से तकनीकी समाधानों पर ध्यान केंद्रित करके ऐसे योगदान का आह्वान किया जो रक्षा क्षमताओं को बढ़ा सकते हैं.

रक्षा मंत्री ने छात्रों से 2047 तक देश को विकसित बनाने के लिए तकनीकी नवाचार में उत्कृष्टता प्राप्त करने का आग्रह किया. उन्होंने पहल, सुधार और परिवर्तन (आईआईटी) के सिद्धांतों का पालन करने की सलाह दी.

उन्होंने कहा, “आज सबसे बड़ी चुनौती तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल बिठाना है, लेकिन साथ ही नई प्रौद्योगिकियों का सृजन करना भी चुनौती है. रक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि यह ‘भारतीय स्वप्न’ का समय है – एक ऐसा समय जब आकांक्षाएं और उपलब्धियां वैश्विक परिदृश्य को फिर से परिभाषित कर सकती हैं.

उन्होंने छात्रों को महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने और अपने करियर में ऊंचे लक्ष्य रखने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि उनके काम का इस परिदृश्य में भारत की प्रगति पर स्थायी प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार में अपनी मजबूत नींव के साथ यह संस्थान भारत के विकास और वैश्विक तकनीकी उन्नति दोनों में महत्वपूर्ण योगदान देना जारी रखेगा.

रक्षा मंत्री ने कार्यक्रम के दौरान दो नई इमारतों मार्गदर्शन एवं परामर्श केंद्र और सतत शिक्षा केंद्र का उद्घाटन किया. इन दोनों इमारतों को शैक्षणिक वातावरण को बढ़ाने और छात्रों तथा शिक्षकों के व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास में योगदान देने के लिए डिजाइन किया गया है.

जीसीबी/