समस्तीपुर, 7 मार्च . होली का पर्व हो और रंगों का जिक्र न आए, ऐसा भला हो सकता है क्या? हर साल की तरह इस बार भी रंग पर्व से पहले हर्बल गुलाल की मांग ने जोर पकड़ लिया है. इसी के चलते बिहार के समस्तीपुर के डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के अपशिष्ट प्रबंधन विभाग द्वारा हल्दी, चुकंदर और हरी साग सब्जियों से हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है.
हर्बल गुलाल बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से आ रही महिलाओं को ट्रेनिंग भी दी जा रही है, ताकि महिलाएं घर पर रहकर ही हर्बल युक्त गुलाल बना सकें और रोजगार का लाभ ले सकें. इस गुलाल की डिमांड अब बाजारों में भी होने लगी है. विश्वविद्यालय द्वारा खादी ग्राम उद्योग के माध्यम से इसका कारोबार भी देश के विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है.
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक डॉक्टर संगीता देव ने से बातचीत में बताया कि हमारी तरफ से तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्य चलाया जा रहा है. यहां महिलाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है. होली के पर्व के मद्देनजर यहां हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है.
उन्होंने कहा, “हल्दी, चुकंदर और पालक से घर में भी छोटे पैमाने पर गुलाल बनाया जा सकता है. यह काम ऐसा है कि इसे घर में भी किया जा सकता है. बड़ा कारोबार करने के लिए बड़े-बड़े मशीनों की जरूरत होती है, लेकिन हर्बल गुलाल बनाने के लिए घर में रखी चीजों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. जैसे हल्दी का गुलाल बनाने के लिए कच्ची हल्दी को लेना होता है. इसके बाद उसके छिलके को हटाया जाता है और जूसर मशीन के जरिए उसका जूस निकाला जाता है. बाद में जूस में अरारोट मिलाया जाता है. इसके बाद तैयार हुए लेप को 20 से 24 घंटे तक सुखाया जाता है. हल्दी की सुगंध को कम करने के लिए इसमें विभिन्न तरह के फ्लेवर मिलाए जाते हैं. यह गुलाल सुरक्षित होता है और इसके इस्तेमाल से कोई नुकसान नहीं होता है.”
अमृता कुमारी ने बताया कि हमें हर्बल गुलाल बनाना सिखाया जा रहा है. इसे बनाने के लिए सब्जियों का इस्तेमाल किया जाता है, जो बिना केमिकल के बनाया जाता है. यह काम सीखने से रोजगार में काफी मदद मिलेगी.
वहीं, चंदा रानी ने कहा कि यहां हर्बल गुलाल बनाना सिखाया जा रहा है. यह गुलाल त्वचा के लिए हानिकारक नहीं है और काफी फायदेमंद भी होता है.
हर्बल गुलाल बनाने को लेकर विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय ट्रेनिंग चल रही है. ग्रामीण क्षेत्रों की 25 महिलाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है. ट्रेनिंग प्राप्त कर चुकी महिलाएं समूह के माध्यम से संगठित होकर भी कुटीर उद्योग के रूप में इसका निर्माण शुरू कर सकती हैं.
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एफएम/केआर