जोधपुर, 15 अक्टूबर . Rajasthan के जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर Tuesday को बस हादसे में कुल 20 लोगों की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि एक स्लीपर बस में आग लगने से 19 यात्री उसमें से निकल नहीं पाए और झुलसकर उनकी मौत हो गई, वहीं जोधपुर रेफर किए गए घायलों में से एक की भी मौत हो गई.
हादसा इतना भीषण था कि शवों की पहचान करना मुश्किल है, जिसके चलते मृतकों के डीएनए सैंपल लिए गए हैं. देर रात आर्मी ट्रक के माध्यम से शवों को जोधपुर भेजा गया. अब परिजनों के डीएनए सैंपल लेकर मिलान की प्रक्रिया जोधपुर में शुरू की जा रही है. डीएनए मिलान के बाद ही शव परिजनों को दिए जाएंगे.
शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि बस को मॉडिफाई किया गया था. इसके बाद भी अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दिए और बड़ा हादसा हो गया.
वहीं, हादसे के इतने देर बाद डीएनए की जांच होने पर परिजनों में नाराजगी है. उनका कहना है कि अगर कोई ‘बड़ा आदमी’ होता तो रात को ही जांच हो जाती, लेकिन उनकी कोई नहीं सुन रहा.
जानकारी के अनुसार, शवों को जैसलमेर से जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल और जोधपुर के एम्स अस्पताल में रखवाया गया है.
एस एन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल बीएस जोधा ने बताया कि कुल पांच लोगों को वेंटिलेटर पर ले लिया गया है जिनकी हालत गंभीर है. डीएनए सैंपलिंग का कार्य शुरू कर दिया गया है, सबका सैंपल लेकर परिजनों के डीएनए से मैच कराया जाएगा ताकि पहचान हो सके. इस कार्य को जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा. हमारा परिजनों और सभी से निवेदन है कि ऐसे केस में इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा रहता है ऐसे में मरीज से ज्यादा से ज्यादा दूरी बनाने का प्रयास रखें.
महात्मा गांधी अस्पताल की अधीक्षक फतेह सिंह भाटी ने बताया कि तीन लोगों को रात में वेंटिलेटर पर लिया गया था. आज सुबह दो लोगों को और वेंटिलेटर पर लिया गया है. सभी का चिकित्सकों की देखरेख में इलाज किया जा रहा है. डीएनए टेस्टिंग का कार्य शुरू किया जा चुका है. हमें पूरी उम्मीद है कि 24 घंटे के भीतर पूरा कार्य कर लिया जाएगा और परिजनों को उनके रिश्तेदारों के शव सौंप दिए जाएंगे. 15 मरीजों का महात्मा गांधी अस्पताल में उपचार चल रहा है, वहीं 10 शवों को महात्मा गांधी अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया है.
विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने कहा, “जैसलमेर के थईयात गांव में हुई घटना वाकई दुखद है और पूरा प्रदेश शोक में है. यह स्पष्ट है कि जोधपुर लाए गए घायलों सहित आज यहां पहुंचे सभी लोगों को हमारी नैतिक जिम्मेदारी और सहयोग की आवश्यकता है.”
उन्होंने कहा कि फिलहाल प्रशासन की गलतियों को देखने के बजाय हम लोगों को घायलों की सहायता करनी चाहिए. जिनकी पहचान नहीं हो पाई है, उनकी पहचान की जा रही है.
परिजनों ने से बात करते हुए कहा, “मैं डीएनए सैंपल देने आया हूं. मेरा छोटा भाई रामगढ़ प्लांट में काम करता था और वह बस में था.”
उन्होंने कहा कि कल रात से हम लोगों को परेशान किया जा रहा है, कोई हमारी सुनने वाला नहीं है और हम लोग अपने परिवार के शव लेने के लिए परेशान हैं.
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एसएके/डीएससी