मराठी लोगों के दबाव के कारण ही सरकार ने फैसला वापस लिया : राज ठाकरे

Mumbai , 30 जून . Maharashtra नवनिर्माण सेना के संस्थापक राज ठाकरे ने Sunday को कहा कि Government ने पहली कक्षा से तीन भाषाएं पढ़ाने के बहाने हिंदी भाषा थोपने के अपने फैसले को मराठी लोगों के विरोध के कारण वापस लिया है.

Chief Minister देवेंद्र फडणवीस के राज्य में त्रिभाषी नीति पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए पूर्व योजना आयोग के सदस्य नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन की घोषणा की है. समिति की रिपोर्ट आने तक तीसरी भाषा के रूप में प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को लागू करने का आदेश वापस ले लिया गया है.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राज ठाकरे ने कहा, “Government ने इससे संबंधित दो Governmentी प्रस्तावों (जीआर) को रद्द कर दिया है. इसे देर से लिया गया ज्ञान नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह अधिरोपण केवल मराठी लोगों के दबाव के कारण वापस लिया गया था. Government हिंदी भाषा को लेकर इतनी अड़ियल क्यों थी और वास्तव में इसके लिए Government पर कौन दबाव बना रहा था, यह रहस्य बना हुआ है.”

राज ठाकरे ने social media प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में चेतावनी देते हुए लिखा, “Government ने एक बार फिर एक नई समिति नियुक्त की है. मैं स्पष्ट रूप से कहता हूं, समिति की रिपोर्ट आने दें या न आने दें, लेकिन इस तरह की हरकतें दोबारा बर्दाश्त नहीं की जाएंगी, और यह अंतिम है! Government को यह बात हमेशा के लिए अपने दिमाग में अंकित कर लेनी चाहिए! हम मानते हैं कि यह निर्णय स्थायी रूप से रद्द कर दिया गया है, और Maharashtra के लोगों ने भी यही मान लिया है. इसलिए, समिति की रिपोर्ट को लेकर फिर से भ्रम पैदा न करें; अन्यथा, Government को ध्यान रखना चाहिए कि इस समिति को Maharashtra में काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.”

राज ठाकरे ने कहा, “Maharashtra में छात्रों को हिंदी सीखने के लिए तीन भाषाएं थोपने का प्रयास आखिरकार रद्द कर दिया गया है, और इसके लिए सभी Maharashtra वासियों को बधाई. Maharashtra नवनिर्माण सेना अप्रैल 2025 से इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठा रही थी, और तब से यह मुद्दा तूल पकड़ने लगा. उसके बाद एक-एक करके Political दल बोलने लगे. जब Maharashtra नवनिर्माण सेना ने एक गैर-पक्षपाती मार्च निकालने का फैसला किया, तो कई Political दलों और संगठनों ने इसमें भाग लेने की इच्छा व्यक्त की.”

उन्होंने कहा, “अब मराठी लोगों को इससे सीख लेनी चाहिए. आपके अस्तित्व, आपकी भाषा को हमारे ही लोगों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है और उनके लिए जिस भाषा में वे पढ़े-लिखे हैं, जिसके साथ पले-बढ़े हैं, जो उनकी पहचान है, उसका कोई मतलब नहीं है… शायद वे किसी को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं. इस बार मराठी दिलों का सामूहिक गुस्सा दिखाई दिया और इसे बार-बार दिखना चाहिए.”

उल्लेखनीय है कि राज ठाकरे ने हिंदी थोपे जाने के खिलाफ 5 जुलाई को मार्च निकालने की योजना बनाई थी और उन्हें अपने भाई उद्धव ठाकरे का समर्थन मिला, जिन्होंने विरोध-प्रदर्शन के लिए समर्थन की घोषणा की. हालांकि, Government के इस फैसले के बाद राज ठाकरे के 5 जुलाई को मार्च निकालने के फैसले पर आगे बढ़ने की उम्मीद नहीं है.

एससीएच/एकेजे