Mumbai , 18 जून . Maharashtra में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी अनिवार्य करने के फैसले पर मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने राज्य Government को चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि राज्य में जबरन हिंदी थोपने की कोशिश की जा रही है, जिसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा. हम हिंदू हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम हिंदी (भाषी) भी हैं. Maharashtra की स्मिता मराठी भाषा से जुड़ी है और मराठी को सम्मान मिलना चाहिए.
Maharashtra नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने Wednesday को हिंदी भाषा को लेकर एक महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने आशंका जताई कि आने वाले चुनावों में मराठी और हिंदी भाषा का मुद्दा Political रूप से गरमा सकता है. उन्होंने आरोप लगाया कि Maharashtra में “बांटो और राज करो” जैसी स्थिति पैदा की जा रही है और हिंदी जबरन थोपी जा रही है.
मनसे प्रमुख ने चेतावनी दी कि अगर हिंदी भाषा को बलपूर्वक थोपा गया तो Maharashtra नवनिर्माण सेना अपने अंदाज में जवाब देगी. उन्होंने लोगों से अपील की, “अगर मराठी से प्रेम है तो हिंदी थोपने का विरोध करें. यह Government को मेरा तीसरा पत्र है. हमने पहले भी लिखा था कि शिक्षा विभाग में मराठी और अंग्रेजी के बाद हिंदी सिर्फ विकल्प होनी चाहिए, अनिवार्य नहीं. मराठी भाषी छात्रों को इससे नुकसान हो रहा है.”
राज ठाकरे ने सवाल उठाया कि जब उत्तर प्रदेश, बिहार या Madhya Pradesh में कोई तीसरी भाषा नहीं सिखाई जाती है तो Maharashtra पर ही हिंदी क्यों थोपी जा रही है? अगर Gujarat में हिंदी नहीं सिखाई जाती तो Maharashtra में क्यों? उन्होंने कहा, “मनसे की ओर से स्कूलों को पत्र भेजा जाएगा और यह देखा जाएगा कि कौन-कौन से स्कूल जबरन हिंदी पढ़ा रहे हैं.”
मनसे प्रमुख ने Political दलों से भी अपील की कि “मराठी भाषा के सम्मान” के लिए एकजुट होकर इस विषय पर Government से सवाल पूछें.
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डीसीएच/एकेजे