नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर बारिश होना शुभ या अशुभ? जानें क्या देते हैं संकेत

New Delhi, 30 सितंबर . आज दिन की शुरुआत बारिश के साथ हुई. कई क्षेत्रों में हल्की बारिश ने न केवल तापमान को संतुलित किया, बल्कि लोगों को पिछले कुछ दिनों से पड़ रही गर्मी और उमस से राहत मिली. इस बारिश का सबसे अधिक फायदा किसानों को हुआ है, जो इस समय खेतों में नमी की कमी से परेशान थे. बारिश से मिट्टी में नमी बढ़ेगी और फसलों के लिए अनुकूल वातावरण बनेगा.

शारदीय नवरात्रि की अष्टमी पर पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में हुई वर्षा को आध्यात्मिक और कृषि दोनों दृष्टिकोण से शुभ संकेत माना जा रहा है. इस दिन का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह देवी दुर्गा के अष्टम स्वरूप महागौरी की पूजा का दिन होता है, और इस दिन वर्षा होना प्रकृति की कृपा का प्रतीक माना जाता है. मां महागौरी बाबा की नगरी काशी में विराजती हैं और यहां इन्हें अन्नपूर्णा भी कहा जाता है. कहते हैं माता अन्नपूर्णा की कृपा से ही काशी नगरी कभी भूखी नहीं सोती. ऐसे में माता का यह स्वरूप बेहद करुणामयी, भक्तों पर दया करने वाली और उनकी रक्षा करने वाली है.

विशेष बात यह है कि इस बार मां दुर्गा हाथी (गज) पर सवार होकर आई हैं, जो शास्त्रों के अनुसार बेहद शुभ माना जाता है. गज पर माता का आगमन वर्षा, समृद्धि और शांति का संकेत माना जाता है. अष्टमी के दिन बारिश होना और मां का गज पर आगमन—दोनों ही संकेत करते हैं कि आने वाला समय सुख-समृद्धि और खुशहाली लेकर आएगा.

इस वर्षा का खगोलीय महत्व भी है, क्योंकि यह पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में हुई है. पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र जल तत्व प्रधान होता है और इसे समृद्धि, ऊर्जा तथा स्थायित्व का प्रतीक माना जाता है. इस नक्षत्र में हुई वर्षा कृषि के लिए विशेष रूप से लाभकारी होती है, क्योंकि यह खेतों की नमी को बनाए रखने में मदद करती है और रबी फसलों की बुवाई की तैयारी में सहायक होती है.

वहीं जो खरीफ फसलें अभी बन रही हैं, उनके लिए यह वर्षा नुकसानदायक नहीं, बल्कि फायदेमंद मानी जा सकती है. यदि वर्षा सीमित मात्रा में रही हो तो इससे पैदावार में वृद्धि हो सकती है.

ऐसे में नवरात्रि की इस पावन तिथि पर प्रकृति और देवी शक्ति का अद्भुत मेल देखने को मिल रहा है. मां महागौरी की कृपा और बारिश के इस संयोग ने भक्तों के बीच नई ऊर्जा और उम्मीद जगा दी है. भक्तजन व्रत-पूजन कर इस शुभ दिन को पूरी श्रद्धा से मना रहे हैं.

पीआईएम/जीकेटी