नई दिल्ली, 7 नवंबर . लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी के एक संपादकीय ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है. एक बार फिर उन्होंने खास तबके के हाथ में देश की अधिकतर ताकत होने की बात लिखी है. उन्होंने इसे मैच फिक्सिंग का नाम दिया है. उनके इन विचारों पर भाजपा दिग्गजों ने सख्त ऐतराज जताया है.
राजस्थान की डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी राय पोस्ट की. उन्होंने लिखा, राहुल गांधी द्वारा भारत के पूर्व राजपरिवारों को बदनाम करने के प्रयास की कड़ी निंदा करती हूं.
एकीकृत भारत का सपना भारत के पूर्व राजपरिवारों के बलिदान के कारण ही संभव हो पाया. ऐतिहासिक तथ्यों की आधी-अधूरी व्याख्या के आधार पर लगाए गए निराधार आरोप पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं.
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लंबा चौड़ा पोस्ट लिखा है. कहा, नफरत बेचने वालों को भारतीय गौरव और इतिहास पर व्याख्यान देने का कोई अधिकार नहीं है. राहुल गांधी की भारत की समृद्ध विरासत के बारे में अज्ञानता और उनकी औपनिवेशिक मानसिकता ने सभी हदें पार कर दी हैं.
यदि आप राष्ट्र के उत्थान का दावा करते हैं, तो भारत माता का अपमान करना बंद करें और महादजी सिंधिया, युवराज बीर टिकेंद्रजीत, कित्तूर चेन्नम्मा और रानी वेलु नचियार जैसे सच्चे भारतीय नायकों के बारे में जानें, जिन्होंने हमारी स्वतंत्रता के लिए जमकर लड़ाई लड़ी. अपने विशेषाधिकारों के बारे में आपकी चुनिंदा भूल उन लोगों के लिए एक अपमान है जो वास्तव में प्रतिकूल परिस्थितियों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं.
आपकी असहमति केवल कांग्रेस के एजेंडे को और उजागर करती है-राहुल गांधी आत्मनिर्भर भारत के चैंपियन नहीं हैं; वह केवल एक पुराने अधिकार का उत्पाद हैं. भारत की विरासत ‘गांधी’ शीर्षक से शुरू या समाप्त नहीं होती है. केवल पीएम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही हमारे असली योद्धाओं की कहानियों का जश्न मनाया जा रहा है. भारत के इतिहास का सम्मान करें, या उसके लिए बोलने का दिखावा न करें.
सांसद यदुवीर वाडियार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, राहुल गांधी का सच्चा इतिहास के बारे में ज्ञान न होना लगातार सामने आता रहता है. आज सुबह एक लेख के माध्यम से उनका नवीनतम बयान, तत्कालीन रियासतों द्वारा आज के भारत के लिए किए गए योगदान, भारतीय विरासत के संरक्षण के बारे में उनकी अज्ञानता को दर्शाता है, जिसके बिना, हम आज की कई परंपराओं को खो सकते थे जिन्हें हम प्रिय मानते हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात, एकीकृत भारत के निर्माण के लिए उन्होंने जो बलिदान दिए. मैं लेख में उनके द्वारा चुने गए शब्दों और उनके द्वारा किए गए आक्षेपों की कड़ी निंदा करता हूं.
–
डीकेएम/केआर