नई दिल्ली, 5 फरवरी . लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को एक बार फिर बेरोजगारी और जीडीपी में विनिर्माण की घटती हिस्सेदारी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यूपीए और एनडीए दोनों की सरकारें इन मामलों में विफल रही हैं. भाजपा के आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने इसके जवाब में एनडीए की सफलता के आंकड़े साझा करते हुए कहा कि यूपीए की विफलता को आखिरकार राहुल गांधी ने स्वीकार किया है.
संसद में 3 फरवरी को यह मुद्दा उठाने के बाद राहुल गांधी ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “प्रधानमंत्री जी, अपने संबोधन में आपने ‘मेक इन इंडिया’ का एक बार भी जिक्र नहीं किया.” उनका इशारा संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा पर प्रधानमंत्री के जवाब की ओर था.
राहुल गांधी ने लिखा कि प्रधानमंत्री को यह स्वीकार करना चाहिए कि ‘मेक इन इंडिया’ विफल रहा है, हालांकि यह एक अच्छी पहल थी. जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में विनिर्माण की हिस्सेदारी 2014 के 15.3 प्रतिशत से घटकर 12.6 प्रतिशत रह गई है, जो 60 साल का निचला स्तर है.
उन्होंने लिखा कि देश के युवाओं को रोजगार चाहिए. हाल के दिनों में न तो यूपीए और न ही एनडीए की सरकार इस संबंध में कुछ खास कर सकी हैं. विनिर्माण क्षेत्र की दिक्कतों को दूर करने के लिए हमें एक विजन की जरूरत है ताकि इसे भविष्य की वैश्विक अर्थव्यवस्था के अनुरूप तैयार किया जा सके.
कांग्रेस सांसद ने विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक मोटर, बैटरी, ऑपटिक्स और एआई जैसी उभरती हुई तकनीकों पर फोकस करने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि चीन भारत से 10 साल आगे है और उसका औद्योगिक तंत्र काफी मजबूत है. उससे मुकाबला करने के लिए हमें दूरदृष्टि और रणनीति की जरूरत है.
इस पर जवाब देते हुए अमित मालवीय ने लिखा, “यह अच्छी बात है कि राहुल गांधी ने अंततः उस तथ्य को स्वीकार किया जिसे पूरा देश पहले से जानता है – एक दशक तक सत्ता में रहते हुए भी यूपीए की सरकार रोजगार सृजन और देश के लिए विनिर्माण आधार तैयार करने में पूरी तरह विफल रही. हालांकि, उन्होंने इस बात की अनदेखी की कि उनकी पार्टी ने देश की अर्थव्यवस्था को भविष्य के लिए तैयार करने की दिशा में कोई काम नहीं किया.”
भाजपा नेता ने कहा कि विनिर्माण को लेकर कांग्रेस के विनाशकारी रुख का सबसे अच्छा उदाहरण 2006 की घटना है, जब इंटेल ने अरबों डॉलर का चिप संयंत्र भारत में स्थापित करने में रुचि दिखाई थी. तत्कालीन यूपीए सरकार नीतिगत निर्णयों में देरी करती रही और अंत में इंटेल ने चीन तथा वियतनाम में अपने संयंत्र लगाए. उस एक घटना ने देश को सेमीकंडक्टर विनिर्माण में एक दशक पीछे धकेल दिया. अब पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत चिप विनिर्माण इकोसिस्टम को तेजी से विकसित कर रहा है.
अमित मालवीय ने आरबीआई केएलईएमएस के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि यूपीए के कार्यकाल के मुकाबले पिछले एक दशक में विनिर्माण में रोजगार वृद्धि की रफ्तार दोगुणी हो गई है.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 1,550 अप्रासंगिक कानूनों को समाप्त किया है, उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए पीएलआई स्कीम लेकर आई है, जिसके तहत अगस्त 2024 तक 14 सेक्टरों में 764 आवेदनों को मंजूरी दी गई है, निर्यात चार लाख करोड़ रुपये को पार कर चुका है और 9.5 लाख प्रत्यक्ष रोजगार का सृजन हुआ है.
उन्होंने बताया कि पीएलआई योजना के तहत दूरसंचार उपकरणों की बिक्री 50 हजार करोड़ को पार कर गई है. भारत का फार्मा निर्यात 2013-14 के 15.07 अरब डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 27.85 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. ड्रोन इंडस्ट्री 90.74 प्रतिशत औसत वार्षिक दर से बढ़ रहा है. देश का निर्यात 2023-24 में 1.49 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो लगभग आयात के बराबर है.
उन्होंने कहा कि पीएलआई से विनिर्माण उद्योग में सीधे 2.25 लाख करोड़ का राजस्व सृजन हुआ है और 1.5 लाख रोजगार पैदा हुए हैं. इस योजना के कारण विनिर्माण में रिकॉर्ड निवेश आया है, एफडीआई 165.1 अरब डॉलर पर पहुंच गया है, जो यूपीए के दशक की तुलना में 69 प्रतिशत अधिक है.
भाजपा नेता ने लिखा, “कांग्रेस का रुख समस्याओं का रोना रोने का था. मोदी सरकार उनके समाधान निकालती है.”
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एकेजे/एबीएम