नई दिल्ली, 10 जुलाई . क्रिकेट को जेंटलमैन गेम कहा जाता है. यह बात तो हर कोई जानता है, लेकिन इस सोच को सच साबित करते हैं राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गज जो पैसों को नहीं बल्कि स्पिरिट ऑफ गेम को अहमियत देते हैं. टीम इंडिया के पूर्व मुख्य कोच द्रविड़ से जुड़ी एक ऐसी जानकारी सामने आ रही है, जिससे एक बार फिर उन्होंने फैंस का दिल जीत लिया है.
द्रविड़ ने कई बार अपनी निस्वार्थ शैली के लिए प्रशंसा बटोरी है. क्रिकेट की दुनिया में राहुल द्रविड़ की पहचान अपने खेल के दिनों से एक शानदार खिलाड़ी के साथ-साथ एक अच्छे इंसान के रूप में भी है. बतौर, कोच भी उनका सफर शानदार रहा. चाहे खिलाड़ी युवा हो या अनुभवी हर कोई उनके व्यक्तित्व की सराहना करता है. अपनी निस्वार्थ शैली का ताजा उदाहरण पेश करते हुए द्रविड़ ने एक और मिसाल कायम की है.
राहुल द्रविड़ के कार्यकाल के दौरान उनकी कोचिंग में टीम इंडिया ने तीन आईसीसी फाइनल खेला. दो बार बेहद करीब से ट्रॉफी से चुकने के बाद आखिरकार टीम इंडिया ने टी20 विश्व कप 2024 जीतकर अपने कोच को यादगार विदाई दी.
इस खुशी के मौके पर बीसीसीआई द्वारा टी20 विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के लिए घोषित 125 करोड़ रुपये की राशि में से 5 करोड़ रुपये की विजेता टीम के मुख्य कोच यानी राहुल द्रविड़ को देने का ऐलान किया लेकिन द्रविड़ ने पुरस्कार राशि का आधा हिस्सा छोड़ने का फैसला किया है.
जानकारी के अनुसार, मुख्य कोच राहुल द्रविड़ को 5 करोड़ रुपये मिले थे. जबकि टीम के अन्य कोचों को 2.5 करोड़ रुपये दिए जाने थे. ऐसे में द्रविड़ ने फैसला किया है कि वह भी अन्य कोचों की ही तरह 2.5 करोड़ लेंगे. यानी द्रविड़ ने अपने सहयोगी स्टाफ के बराबर बोनस लेने का फैसला किया.
केंसिंग्टन ओवल में फाइनल में दक्षिण अफ्रीका पर सात रन की रोमांचक जीत के साथ भारत द्वारा 2024 पुरुष टी20 विश्व कप जीतने के एक दिन बाद, बीसीसीआई सचिव जय शाह ने कहा कि टीम को कुल 125 करोड़ रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा.
वितरण फार्मूले के अनुसार, मुख्य कोच द्रविड़ और टीम के सभी 15 सदस्यों को 5-5 करोड़ रुपए मिलने थे. जबकि बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर, फील्डिंग कोच टी. दिलीप और गेंदबाजी कोच पारस महाम्ब्रे सहित अन्य सहयोगी स्टाफ को 2.5-2.5 करोड़ रुपए मिलने थे.
हालांकि, द्रविड़ ने अन्य सहयोगी स्टाफ को दिए जाने वाले इनाम के साथ अपने बोनस में 2.5 करोड़ रुपए लेने से इनकार कर दिया.
बीसीसीआई के एक सूत्र ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, “राहुल अपने सहयोगी स्टाफ (गेंदबाजी कोच पारस महाम्ब्रे, फील्डिंग कोच टी.दिलीप और बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर) के बराबर ही बोनस राशि (2.5 करोड़ रुपए) चाहते थे. हम उनकी भावनाओं का सम्मान करते हैं.”
यह पहला मौका नहीं है जब द्रविड़ ने पुरस्कारों के समान वितरण के लिए रुख अपनाया है. 2018 में भारत की विजयी अंडर-19 विश्व कप टीम के मुख्य कोच के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान द्रविड़ ने ऐसा ही कुछ किया था.
उस समय द्रविड़ को 50 लाख रुपये मिलने थे, जबकि सहयोगी स्टाफ के अन्य सदस्यों को 20-20 लाख रुपये मिलने वाले थे.
ऐसे में द्रविड़ ने इस तरह के विभाजन से इनकार कर दिया, जिससे बीसीसीआई को इस बोनस में थोड़ा बदलाव करना पड़ा और सभी को समान रूप से पुरस्कृत करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
बोर्ड ने इसके बाद नकद पुरस्कारों की संशोधित सूची जारी की, जिसमें द्रविड़ सहित सहयोगी स्टाफ के प्रत्येक सदस्य को 30 लाख रुपये दिए गए.
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एएमजे/