जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, जांच कमेटी की रिपोर्ट पर उठाए सवाल

New Delhi, 28 जुलाई . इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर Supreme court में Monday को सुनवाई शुरू हुई. जस्टिस वर्मा ने नकदी मिलने के मामले में गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की. इस मामले की सुनवाई जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ए.जी. मसीह की पीठ ने की.

जस्टिस वर्मा की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश कीं. सिब्बल ने कहा, “यह पूरा मामला Political रंग ले चुका है.”

उन्होंने तर्क दिया कि 22 मार्च को Supreme court की ओर से जारी वीडियो और तस्वीरों के बाद देशभर में जस्टिस वर्मा को पहले ही दोषी मान लिया गया.

उन्होंने सवाल उठाया कि घटनास्थल से मिला पैसा कहां गया और इसे जब्त क्यों नहीं किया गया.

सिब्बल ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 124 (5) के तहत जजों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. Supreme court के पांच जजों की बेंच ने स्पष्ट किया है कि बिना उचित प्रक्रिया के किसी जज के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकती.

उन्होंने यह भी कहा कि एससी के इन-हाउस जांच नियमों के अनुसार, जांच पूरी होने तक जज के आचरण पर सार्वजनिक चर्चा नहीं होनी चाहिए.

सिब्बल ने दलील दी कि जांच कमेटी ने जस्टिस वर्मा को अपना पक्ष रखने का उचित मौका नहीं दिया. कमेटी ने नकारात्मक निष्कर्ष निकाले और उनसे पूछा गया कि नकदी कहां से आई, जबकि सबूतों की जांच ठीक से नहीं हुई. उन्होंने कहा कि कमेटी ने cctv फुटेज जैसी महत्वपूर्ण सामग्री को नजरअंदाज किया और जस्टिस वर्मा के खिलाफ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया.

जस्टिस दीपांकर दत्ता ने सिब्बल से सवाल किया, “अगर जस्टिस वर्मा को कमेटी की प्रक्रिया पर भरोसा नहीं था, तो वे इसके सामने पेश क्यों हुए?”

उन्होंने यह भी पूछा कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की ओर से जांच रिपोर्ट President और Prime Minister को भेजना क्यों गलत है, क्योंकि President जजों की नियुक्ति का अधिकार रखते हैं.”

जस्टिस दत्ता ने कहा कि रिपोर्ट भेजने का मतलब यह नहीं कि सीजेआई संसद को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं.

सिब्बल ने जवाब दिया कि संसद में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू होने के बाद ही मामला Political होता है, लेकिन यहां जांच शुरू होने से पहले ही इसे सार्वजनिक और Political बना दिया गया.

Supreme court अब इस मामले पर 30 जुलाई को सुनवाई करेगी.

वीकेयू/एबीएम