ग्रेटर नोएडा, 27 मई . ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित यथार्थ हॉस्पिटल में एक गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है. अस्पताल की लिफ्ट अचानक बंद हो जाने से उसमें करीब 16 लोग, जिनमें मरीज और उनके तीमारदार शामिल थे, आधे घंटे तक फंसे रहे. इस दौरान लिफ्ट के भीतर मौजूद एक व्यक्ति ने पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है, जिससे अस्पताल प्रबंधन और जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं.
वीडियो में देखा जा सकता है कि लिफ्ट में ऑक्सीजन की कमी और दमघोंटू माहौल के बीच लोग घबराए हुए हैं और किसी तरह की मदद मिलने का इंतजार कर रहे हैं. पीड़ितों का आरोप है कि जब लिफ्ट फंसी, तब उन्होंने बार-बार इमरजेंसी बटन दबाया और अस्पताल की सिक्योरिटी व मैनेजमेंट को सूचित करने की कोशिश की, लेकिन कोई मदद नहीं मिली. अंततः करीब 30 मिनट की मशक्कत के बाद लोगों को लिफ्ट से बाहर निकाला गया. यह घटना थाना बिसरख क्षेत्र की बताई जा रही है.
वायरल वीडियो के बाद लोगों में आक्रोश देखा जा रहा है और यथार्थ हॉस्पिटल के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठ रही है. यह मामला इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि उत्तर प्रदेश में लिफ्ट एक्ट लागू हो चुका है, जिसका मकसद लिफ्टों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. गौतम बुद्ध नगर जिले में सबसे अधिक हाईराइज इमारतें और संस्थान हैं, जहां इस कानून को सख्ती से लागू किए जाने की आवश्यकता है. इसके बावजूद ऐसी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि लिफ्ट सुरक्षा के मामले में जिला प्रशासन और संबंधित संस्थान गंभीरता नहीं बरत रहे हैं. गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद जहां सबसे ज्यादा हाई राइज इमारतें हैं, वहां पर जिला प्रशासन को उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से यह निर्देश दिए गए हैं कि यहां जल्द से जल्द इस एक्ट को लागू कराया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि अगर लिफ्ट की वजह से किसी को दिक्कत होती है या कोई लापरवाही होती है तो उसके लिए जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए और उसके पर कठोर कार्रवाई भी की जाए.
इस लिफ्ट एक्ट के तहत उन तमाम इमारतों और संस्थाओं को जिला प्रशासन में रजिस्ट्रेशन करना होता है जिनके यहां लिफ्ट का प्रयोग किया जा रहा है और उनके मेंटेनेंस समेत अन्य सूचनाओं को भी जिला प्रशासन के पास दर्ज कराना अनिवार्य है.
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पीकेटी/एएस