नई दिल्ली, 3 दिसंबर . वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं लोकसभा के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने मंगलवार को से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली में बढ़ते अपराध को लेकर स्थगन प्रस्ताव, उत्तर प्रदेश में संभल हिंसा, किसानों के प्रदर्शन और त्रिपुरा के होटल एसोसिएशन की तरफ से बांग्लादेशियों को रूम देने से इंकार पर अपनी प्रतिक्रिया दी.
दिल्ली में बढ़ते अपराध पर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा और संजय सिंह के स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराने की मांग को लेकर कांग्रेस नेता ने कहा, ऐसा नहीं है कि दिल्ली में आज अपराध ज्यादा हो गया है, कल कम था. कांग्रेस इस मुद्दे को बार-बार उठाती रही है. कहीं पर जघन्य अपराध हुआ, तो हम लोग वहां पर पहुंचे. लेकिन आम आदमी पार्टी ने पिछले चार-पांच साल में कभी प्रशासनिक तरीके से इस मुद्दे को उठाने की बात नहीं की. वो सरकार में हैं, इसको लेकर विधानसभा में चर्चा करते, पुलिस से पूछते कि उन्होंने कैसा इंतजाम किया है.
कांग्रेस नेता ने कहा, दिल्ली सरकार ने कहा था कि हर सड़क पर सीसीटीवी लगा देंगे, उसका क्या हुआ? हर सड़क व हर चौराहे पर लाइट लगाने की बात की गई थी, लेकिन आधे से ज्यादा चौराहों पर लाइट नहीं जलती है. उन्होंने कहा था कि बसों में मार्शल आने के बाद कोई दिक्कत नहीं होगी. लेकिन मार्शलों को हटा दिए और इसकी जिम्मेदारी उपराज्यपाल पर डाल दी. ऐसे में दिल्ली की कानून व्यवस्था को लेकर आप पर भी सवाल खड़ा होता है.
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में भड़की हिंसा को लेकर विपक्ष और खासकर कांग्रेस चाहती है कि सदन के अंदर इस पर चर्चा हो. इसको लेकर संदीप दीक्षित ने कहा, चर्चा होनी चाहिए. जब 1991 में श्री राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद की बात चली थी. उस समय सभी का मत था कि इसको छोड़कर बाकी सभी जगहों को यथास्थिति में रखा जाए. लेकिन डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के अंतिम समय में क्यों बदलाव किया, इसपर चर्चा का कोई अंत नहीं है. इसको लेकर पूरे देश में उन्माद फैलेगा.
कांग्रेस नेता ने कहा इसको लेकर सामाजिक उन्माद, दंगे और जगह-जगह बलवे होने की आशंका है और हिंदू-मुस्लिम झगड़े और बढ़ सकते हैं. इसमें हमेशा भाजपा का फायदा हुआ है. इसलिए भारत सरकार इस पर आंख मूंद कर बैठी है और इसको बढ़ावा दे रही है.
किसानों के प्रदर्शन को लेकर उन्होंने कहा, जब तीन-चार साल पहले किसानों का बहुत बड़ा आंदोलन हुआ था. उस समय भाजपा और किसान नेताओं के बीच चर्चा हुई थी. उस दौरान बार-बार कहा गया था कि किसानों के जितने भी मुद्दे हैं, उनको निपटाए जाएंगे. लेकिन तीन-चार सालों में किसानों के लिए कुछ नहीं हुआ. तीन काले कानून को लेकर किसान सड़क पर आया था, जिसको मोदी सरकार ने वापस ले लिया और स्थिति को संभाला. लेकिन आगे जो सकारात्मक काम करने थे, उस पर सरकार ने कोई काम नहीं किया. यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार किसान, मजदूर, गरीब किसी के हित में नहीं खड़ी है.
त्रिपुरा के होटल एसोसिएशन ने बांग्लादेशियों को होटल के रूम देने से मना करने पर कांग्रेस नेता ने कहा कि बांग्लादेश में जो हो रहा है वह बहुत चिंताजनक है. पता नहीं भारत सरकार क्या कर रही है? हमें लगता है कि बांग्लादेश में जिस तरीके से हम प्रभाव डाल सकते थे, हमने नहीं डाला. भारत सरकार को इस विषय पर सख्त तरीके से बांग्लादेश से बात करनी चाहिए. जहां तक त्रिपुरा में बांग्लादेशियों को होटल नहीं देने की बात है, वह स्थानीय मुद्दा है, लेकिन हम क्यों किसी देश के लोगों के खिलाफ ऐसा करें?
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एससीएच/