New Delhi, 27 जून . पूर्व Prime Minister पी.वी. नरसिम्हा राव उन गिने-चुने नेताओं में से हैं, जिन्होंने देश की आर्थिक और कूटनीतिक तस्वीर को पूरी तरह बदल दिया. तेलंगाना के करीमनगर में 28 जून 1921 को जन्मे नरसिम्हा राव 21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक नौवें Prime Minister के रूप में देश के आर्थिक उदारीकरण के प्रणेता बने.
एक विद्वान, वकील, स्वतंत्रता सेनानी और कुशल राजनेता पी.वी. नरसिम्हा राव Prime Minister के पद पर पहुंचने वाले पहले दक्षिण भारतीय थे. उन्होंने अपने कार्यकाल में India को आर्थिक संकट से उबारकर वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाई. उनकी दूरदर्शिता और साहसिक निर्णयों ने देश को आधुनिक अर्थव्यवस्था की राह पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
साल 1991 में जब राव ने Prime Minister पद की शपथ ली तब India एक गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था. विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका था और देश कर्ज के बोझ तले दबा था. इस संकट ने राव को कठिन निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के साथ मिलकर देश में आर्थिक उदारीकरण की नींव रखी. लाइसेंस राज को समाप्त करते हुए, उन्होंने निजीकरण, वैश्वीकरण और नियंत्रण-मुक्त अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया. इस नीति ने India को वैश्विक व्यापार और निवेश के लिए खोल दिया, जिससे अर्थव्यवस्था में नई जान आई. उनकी इस पहल ने न केवल देश को आर्थिक स्थिरता दी, बल्कि मध्यम वर्ग के सपनों को नए पंख दिए जिससे देश की सामाजिक-आर्थिक संरचना में व्यापक स्तर पर क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिला.
राव की नीतियों ने देश को न केवल आर्थिक रूप से मजबूत किया, बल्कि वैश्विक मंच पर देश की साख को भी बढ़ाया. उनकी ‘लुक ईस्ट’ नीति ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ India के संबंधों को मजबूत किया, जो आज India की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण अंग है. उनकी यह रणनीति उस समय की थी, जब India को अपनी विदेश नीति को सोवियत संघ के पतन के बाद फिर से परिभाषित करने की जरूरत थी.
पी.वी. नरसिम्हा राव का कूटनीतिक कौशल भी उतना ही प्रभावशाली था, जितनी उनकी आर्थिक नीतियां. साल 1994 में जब Pakistan ने कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में उठाने की कोशिश की तो उन्होंने एक द्विदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजकर इस प्रयास को विफल कर दिया. उनकी यह रणनीति India की कूटनीतिक जीत का एक उदाहरण थी. इसके अलावा उन्होंने पंजाब में आतंकवाद को नियंत्रित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके लिए उन्हें व्यापक स्तर पर सराहना मिली.
राव की विदेश नीति में ईरान के साथ संबंधों को मजबूत करने का विशेष उल्लेख करना जरूरी है. उनकी फारसी भाषा की जानकारी और ईरानी संस्कृति की समझ ने भारत-ईरान संबंधों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. यह उनकी विद्वता और कूटनीतिक सूझबूझ का प्रमाण था.
पी.वी. नरसिम्हा राव के कांग्रेस आलाकमान के साथ संबंध हमेशा सुर्खियों में रहे. 23 दिसंबर 2004 में उनके निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को कांग्रेस मुख्यालय में प्रवेश से वंचित कर दिया गया, जिसे लेकर काफी विवाद हुआ. देश के सामाजिक और Political क्षेत्र में उनके योगदान के लिए मोदी Government ने उन्हें साल 2024 में मरणोपरांत India रत्न से सम्मानित किया.
देश के सियासी फलक पर पी.वी. नरसिम्हा राव एक ऐसे नेता थे, जो India को एक कठिन दौर से निकालकर आधुनिकता की राह पर ले गए. उनकी नीतियों ने वैश्विक मंच पर देश को एक नई पहचान दी और लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला. एक विद्वान, कूटनीतिज्ञ और आर्थिक सुधारों के जनक के रूप में उनकी विरासत आज भी जीवित है, जो हमें सिखाती है कि साहसिक निर्णय और दूरदर्शिता किसी भी देश के भाग्य को बदल सकती है.
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एकेएस/एकेजे