नई दिल्ली, 23 फरवरी . सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) के माध्यम से सेवाओं की खरीद चालू वित्त वर्ष के दौरान 22 फरवरी तक 176 प्रतिशत बढ़कर 1,82,000 करोड़ रुपये हो गई. वाणिज्य मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी आँकड़ों में बताया गया है कि 2022-23 में यह आँकड़ा 66 हजार करोड़ रुपये था.
मंत्रालय ने कहा कि सेवाओं की खरीद का कुल मूल्य अब वित्तीय वर्ष में उत्पादों की खरीद के कुल मूल्य से अधिक है जो एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. यह विभिन्न खरीददारों द्वारा सेवाओं की तेजी से स्वीकार्यता को इंगित करता है.
मंत्रालय ने कहा, “फरवरी 2024 में सेवाओं की खरीद अभूतपूर्व रही है, जिसका योगदान जीईएम पर किए गए कुल ऑर्डर मूल्य का लगभग 80 प्रतिशत है. चालू वित्त वर्ष में कुल खरीद में सेवाओं का हिस्सा 50 प्रतिशत से अधिक हो गया है. कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड द्वारा लगभग 40 हजार करोड़ रुपये की दो बोलियों ने सेवा खरीद में हिस्सेदारी बढ़ा दी है.”
इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर टिप्पणी करते हुए, जीईएम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पी.के. सिंह ने कहा कि जीईएम ने डिजिटल क्षमताओं का उपयोग किया है और उन सभी संभावित सेवाओं की खरीद के लिए वन-स्टॉप-शॉप के रूप में उभरा है जिनकी प्रशासन के विभिन्न स्तरों पर सरकारी खरीदारों को आवश्यकता हो सकती है.
उन्होंने कहा कि जीईएम पर सेवा पेशकश का विस्तार मंच की सफलता की कहानी का सबसे उज्ज्वल अध्याय रहा है, जिसमें कम समय में तेजी से वृद्धि देखी गई है.
जीईएम पर सेवाओं के विस्तारित समूह के कारण पोर्टल के सकल व्यापारिक मूल्य में जबरदस्त उछाल आया है. अकेले इस वर्ष ग्रुप मेडिक्लेम इंश्योरेंस सर्विस, एसेट इंश्योरेंस सर्विस, ग्रुप टर्म इंश्योरेंस सर्विस आदि जैसी नौ प्रकार की बीमा सेवाओं की खरीद के लिए 4,036 करोड़ रुपये के लगभग 457 ऑर्डर दिए गए हैं. गुजरात सरकार ने लगभग 62 लाख परिवारों को बीमा कवर देने के लिए प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 2,302 करोड़ रुपये की लागत से ग्रुप मेडिक्लेम इंश्योरेंस सर्विसेज की खरीद की है.
लोकल केमिस्ट एम्पैनलमेंट जैसी नवीन और अनूठी सेवा पेशकश के परिणामस्वरूप जीईएम की ई-बोली प्रक्रिया के माध्यम से दवाओं की आपूर्ति पर औसतन 30-32 प्रतिशत की छूट मिली है.
इसने केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना, कर्मचारियों और राज्य बीमा निगमों और कई राज्य स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभागों को सक्रिय रूप से जीईएम के माध्यम से इन सेवाओं को प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया है.
सलाहकारों और पीआर एजेंसी की नियुक्ति, आउटडोर विज्ञापन सेवाओं और प्रदर्शनी/कार्यक्रम/सेमिनार प्रबंधन सेवाओं जैसी सेवाओं की खरीद ने सरकारी निकायों को सूचित नीति-निर्माण निर्णय लेने और प्रभावी ढंग से जानकारी प्रसारित करने में सक्षम बनाया है.
जीईएम पर सेवाओं की खरीद ने जल जीवन मिशन, पोषण 2.0 आदि जैसी प्रमुख सामाजिक कल्याण पहलों को भी भारी प्रोत्साहन दिया है. स्वच्छ भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए, जीईएम ने कूड़े के संग्रह, निपटान और प्रबंधन सहित स्वच्छता सेवाओं को किराए पर लेने के लिए अलग-अलग श्रेणियां बनाई हैं.
यह सेवा शहरी विकास एवं आवास विभाग, बिहार द्वारा नियमित रूप से खरीदी जा रही है, जिसने कचरे के संग्रहण, उठाव, परिवहन और निपटान के लिए विभिन्न शहरी स्थानीय निकायों को 35 ऑर्डर दिए हैं.
जम्मू-कश्मीर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, उत्तराखंड और दिल्ली जैसे विभिन्न राज्यों में शहरी और स्थानीय निकायों द्वारा भी इसी तरह के अनुबंध रखे गए हैं.
यह उल्लेखनीय प्रवृत्ति एक रणनीतिक संपत्ति के रूप में सेवाओं की बढ़ती मान्यता को रेखांकित करती है और सार्वजनिक खरीद प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने में मजबूत खरीद बुनियादी ढांचे के महत्व पर प्रकाश डालती है. यह अभूतपूर्व वृद्धि जीईएम की स्केलेबिलिटी और अनुकूलनशीलता तथा भारत की आर्थिक वृद्धि को आगे बढ़ाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को प्रमाणित करती है.
जीईएम की स्थापना 2016 में सरकारी खरीददारों को लागत प्रभावी दरों पर वस्तुओं की सार्वजनिक खरीद करने के लिए एक एंड-टू-एंड डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रदान करने के लिए वित्त वर्ष 2019-20 में की गई थी. प्लेटफ़ॉर्म ने सेवाओं को एक अलग खंड के रूप में शामिल करने के लिए अपने पोर्टफोलियो में विविधता का समावेश किया.
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