पंजाब: कांग्रेस विधायक परगट सिंह का बड़ा खुलासा, ‘126 भारतीय युवा रूस की सेना में फंसे, कई की मौत’

चंडीगढ़, 11 सितंबर . पंजाब के कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि पंजाब, Haryana, उत्तर प्रदेश और बिहार के करीब 126 युवाओं को ट्रैवल एजेंटों ने बिना किसी ट्रेनिंग के विदेश भेजा, जहां वे रूस की सेना में फंस गए हैं. इनमें से कई युवाओं की मौत हो चुकी है, लेकिन उनके शव उनके परिवारों तक नहीं पहुंचे.

परगट सिंह ने इस मामले में केंद्र और पंजाब सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की है.

परगट सिंह ने बताया कि गुरदासपुर के गुरप्रीत सिंह, संदीप हंस और मोहन लाल शर्मा जैसे ट्रैवल एजेंट दिल्ली और पंजाब में सक्रिय हैं, जो युवाओं को मोटी तनख्वाह वाली नौकरियों का लालच देकर रूस भेज रहे हैं.

उन्होंने कहा कि रूस ने इन एजेंटों के नाम और तस्वीरें साझा की हैं, फिर भी भारत के विदेश मंत्रालय ने केवल एडवाइजरी जारी की है, कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. जब छोटे-छोटे देश अपने नागरिकों को सुरक्षित निकाल रहे हैं, तो Government of India चुप क्यों है?

विधायक परगट सिंह ने पीड़ित परिवारों का दर्द साझा करते हुए बताया कि कई परिवार टूट चुके हैं. परमिंदर कौर जैसे लोग अपने प्रियजनों के शव तक का इंतजार कर रहे हैं. परमिंदर के पति तेजपाल की बॉडी आज तक नहीं मिली.

परगट सिंह ने कहा कि इन युवाओं को रूसी सेना में अप्रत्यक्ष रूप से भर्ती किया जा रहा है. उन्हें नौकरी के नाम पर रूस भेजा जाता है, लेकिन अनुबंध रूसी भाषा में होने के कारण वे इसे समझ नहीं पाते. कई मामलों में दिव्यांग युवाओं को भी सेना में भर्ती किया गया, जो नियमों का उल्लंघन है.

उन्होंने भारतीय दूतावास पर भी मदद न करने का आरोप लगाया. परगट सिंह ने बताया कि 15 और छात्रों को हाल ही में रूसी सेना में भर्ती के लिए भेजा गया है. मैं विदेश मंत्रालय से मांग करता हूं कि इन अवैध गतिविधियों में शामिल एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. साथ ही, ऐसी एजेंसियों को रोकने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए ताकि भविष्य में भारतीय युवा ऐसी मुसीबत में न फंसें.

प्रगट सिंह ने केंद्र और पंजाब सरकार से अपील की कि वे पीड़ित परिवारों की मदद करें और रूस में फंसे युवाओं को सुरक्षित वापस लाने के लिए तत्काल कदम उठाएं. उन्होंने कहा कि यह मामला राष्ट्रीय शर्मिंदगी का है और सरकार की चुप्पी अस्वीकार्य है.

एकेएस/डीएससी