पंजाब के मुख्यमंत्री को किसानों की बात सुननी चाहिए : श्याम सिंह राणा

चंडीगढ़, 12 दिसंबर . हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने गुरुवार को से बात करते हुए पंजाब सरकार से किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता देने की अपील की. उन्होंने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री को अपने राज्य के किसानों की समस्याओं को गंभीरता से सुनना चाहिए और समाधान के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए.

कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने से बात करते हुए किसानों के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें आंदोलन कर रहे किसानों की ओर से कहा गया था कि 14 दिसंबर को 101 किसानों का जत्था दिल्ली के लिए पैदल कूच करेगा. इसके साथ ही अगर जगजीत सिंह डल्लेवाल को कुछ होता है तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.

किसानों की चेतावनी पर राणा ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री को प्रदेश के किसानों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए. मुख्यमंत्री भगवंत मान को किसानों की समस्याएं सुननी चाहिए, जैसे हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी करते हैं.

उन्होंने बताया कि हरियाणा के मुख्यमंत्री हमेशा किसानों के मुद्दों को सुनते हैं और राज्य में 23 से 24 फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जाती है. पंजाब के मुख्यमंत्री को भी इसी तरह किसानों के हित में काम करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए राणा ने कहा कि किसान नेताओं को उस रिपोर्ट पर अपनी बात रखने के लिए कमेटी के पास जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसान नेता कमेटी से मिलने नहीं गए. किसानों को अपनी मांगें रखने के लिए उस कमेटी में शामिल होना चाहिए था.

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार पंजाब में सबसे अधिक खरीद करती है, जिससे पंजाब का किसान खुशहाल है. उन्होंने कहा कि पंजाब का राष्ट्रीय पूल में 45 प्रतिशत हिस्सा है और सबसे अधिक पैसा भी पंजाब में आता है. हरियाणा में 50 लाख मीट्रिक टन अनाज की खरीद होती है, जबकि पंजाब में 1 लाख 21 हजार मीट्रिक टन अनाज की खरीद होती है, जो यह दिखाता है कि पंजाब के किसान को केंद्र सरकार से सबसे अधिक लाभ मिल रहा है. पंजाब का किसान खुशहाल है क्योंकि सबसे अधिक अनाज की खरीद एमएसपी पर होती है और केंद्र सरकार से सबसे अधिक पैसा पंजाब को मिलता है.

बता दें कि पंजाब-हरियाणा (शंभू) बॉर्डर से किसान एक बार फिर दिल्ली की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं. इस आंदोलन में शंभू बॉर्डर पर 13 फरवरी से आठ महीने से ज्यादा समय से धरना दे रहे किसान अब ट्रैक्टर-ट्रॉली के बिना पैदल ही दिल्ली की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं.

पीएसके/एएस