पुणे कोर्ट ने जरांगे-पाटिल के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट रद्द किया

पुणे (महाराष्ट्र), 2 अगस्त . पुणे की एक अदालत ने शिवबा संगठन के नेता मनोज जरांगे-पाटिल के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट (एनबीडब्ल्यू) रद्द कर दिया है. लेकिन अदालत ने उन्हें सार्वजनिक तौर पर दिए जाने वाले बयानों में सावधानी बरतने की सलाह दी है.

पुणे के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट ए.सी. बिराजदार ने 24 जुलाई को 11 साल पुराने धोखाधड़ी के एक मामले में मराठा आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे-पाटिल के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी किया था. वह मामले में बार-बार समन भेजे जाने के बावजूद अदालत में पेश नहीं हुए थे, इसलिए उनके खिलाफ ये वारंट जारी किया गया.

गिरफ्तारी की आशंका के चलते, जरांगे-पाटिल की कानूनी टीम ने अदालत को आश्वासन दिया था कि वह दो अगस्त को अगली सुनवाई में उपस्थित रहेंगे. यहां तक ​​कि उन्होंने मजिस्ट्रेट से गैर जमानती वारंट रद्द करने का आग्रह भी किया था.

पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे जरांगे-पाटिल शुक्रवार सुबह छत्रपति संभाजीनगर से एम्बुलेंस से पुणे पहुंचे और अदालती कार्यवाही में शामिल हुए. मजिस्ट्रेट ने उन्हें फटकार लगाई.

उनके वकील हर्षद निंबालकर ने मेडिकल रिकॉर्ड पेश किए और उसे पढ़ने के बाद मजिस्ट्रेट ने गैर जमानती वारंट रद्द कर दिया.

सुनवाई के दौरान मजिस्ट्रेट ने जरांगे-पाटिल की अदालत के खिलाफ की गई कुछ अपमानजनक टिप्पणियों पर भी गौर किया. उन्हें भविष्य में ऐसी टिप्पणियां न दोहराने और अदालत के निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया तथा उनसे नए बॉन्ड पेपर पेश करने को भी कहा.

हाल के दिनों में पाटिल के खिलाफ दूसरा गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था. यह 2013 में एक ड्रामा प्रोड्यूसर के साथ किये गये करार के उल्लंघन से संबंधित है. मामले में वारंट जरांगे-पाटिल और उनके दो सहयोगियों दत्ता बहिर और अर्जुन जाधव के खिलाफ जारी किया गया था.

गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद जरांगे-पाटिल ने आरोप लगाया था कि यह सरकार द्वारा उन्हें सलाखों के पीछे डालने और जेल में ही मार डालने की साजिश है.

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