New Delhi, 17 अक्टूबर . पुनर्नवा चूर्ण आयुर्वेद की एक ऐसी अद्भुत औषधि है जो शरीर को फिर से नया बना देती है. पुराने जमाने से लेकर आज तक आयुर्वेदाचार्य इसे लिवर, किडनी, सूजन और मूत्र संबंधी रोगों के लिए वरदान मानते आए हैं. चरक संहिता और अष्टांग हृदयम् दोनों में इसका विशेष उल्लेख मिलता है.
सबसे पहले बात करें सूजन की, तो अगर शरीर में पानी भर जाता है, हाथ-पैर सूज जाते हैं या पेट फूला रहता है, तो पुनर्नवा चूर्ण बहुत असरदार है. यह एक प्राकृतिक मूत्रल औषधि (डाइयूरेटिक) है, जो शरीर में जमा अतिरिक्त जल और विषाक्त तत्वों को बाहर निकाल देती है. इसी कारण इसे शरीर का डिटॉक्स क्लीनर भी कहा जाता है.
दूसरा बड़ा फायदा है लिवर और किडनी की सफाई. पुनर्नवा चूर्ण लिवर को उत्तेजित करता है और उसकी कार्यक्षमता बढ़ाता है. हेपेटाइटिस, जॉन्डिस, फैटी लिवर या किडनी की कमजोरी जैसी समस्याओं में यह काफी उपयोगी है. यूरिन रिटेंशन या पेशाब की जलन में भी इसका सेवन आराम देता है. यह मूत्रमार्ग को साफ रखता है और संक्रमण से बचाता है.
पुनर्नवा चूर्ण रक्त को शुद्ध करने में भी मदद करता है. यह खून में मौजूद गंदगी और टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है, जिससे त्वचा पर निखार आता है और मुंहासे या एलर्जी जैसी दिक्कतें कम होती हैं. साथ ही यह वजन और यूरिक एसिड को नियंत्रित रखता है, इसलिए मोटापा, गठिया और जोड़ों के दर्द में भी यह बहुत फायदेमंद है.
इसका चूर्ण बनाना भी आसान है. सूखी पुनर्नवा की जड़ों को साफ करके धूप में सुखा लें, फिर इन्हें बारीक पीस लें और छानकर किसी कांच की डिब्बी में रख लें. इसका सेवन दिन में एक या दो बार किया जा सकता है, लगभग आधा चम्मच (2–3 ग्राम) गुनगुने पानी या दूध के साथ, या फिर भोजन के बाद. अगर सूजन या लिवर की समस्या ज्यादा है, तो इसे गोक्षुर चूर्ण और त्रिफला चूर्ण के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर लेना और भी असरदार होता है.
हालांकि, गर्भवती महिलाएं या गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोग इसे डॉक्टर की सलाह से ही लें, क्योंकि ज्यादा मात्रा में लेने पर डिहाइड्रेशन हो सकता है.
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पीआईएम/एएस