‘बेटी पर गर्व, हार-जीत खेल का हिस्सा’, मनु भाकर के ओलंपिक प्रदर्शन पर पैतृक गांव में परिजनों ने जताई खुशी

झज्जर, 3 अगस्त . भारत की स्टार निशानेबाज मनु भाकर पेरिस ओलंपिक में दो मेडल लाने के बाद तीसरे मेडल से मामूली अंतर से चूक गईं. वह शनिवार को महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल स्पर्धा में चौथे स्थान पर रहीं. इस इवेंट में मनु की शुरुआत बहुत अच्छी नहीं रही थी, लेकिन बाद में उन्होंने बढ़िया वापसी की और कांस्य पदक भारत के हाथ से लगभग फिसल गया.

मनु भाकर के पैतृक गांव गोरिया में उनके परिजन और ग्रामीणों को मेडल की पूरी आस थी. परिजन गोल्ड को लेकर भी आश्वस्त थे. ऐसे में मेडल नहीं मिलने से मनु के गांव में थोड़ी मायूस दिखाई दी, लेकिन उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है. गांव के जिस स्कूल से मनु भाकर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की थी, उसी स्कूल में छोटे बच्चों को मनु भाकर का मैच दिखाने के लिए बड़ी स्क्रीन लगाई गई थी. बच्चों को मैच की डिटेल के बारे में समझाने के लिए अध्यापक लगातार डिटेल दे रहे थे.

मनु के 25 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा से बाहर होने पर छोटे बच्चे भी कुछ देर तक मायूस दिखाई दिए. लेकिन बाद में माहौल सामान्य हो गया और बच्चों ने हरियाणवी गानों पर जमकर डांस भी किया. मनु भाकर के ताऊ प्रताप सिंह ने कहा, “मनु भाकर लास्ट राउंड में बहुत मामूली अंतर से मेडल से चूक गईं. इससे पहले उन्होंने देश के लिए दो मेडल इसी ओलंपिक में जीते और विदेशी धरती पर तिरंगा फहराया. वह ऐसी पहली बिटिया हैं, जिन्होंने एक ही ओलंपिक में दो मेडल जीते. हम आज भी खुश हैं. हालांकि, हाथ से मेडल फिसल गया, जिसका थोड़ा दुख है.”

मनु भाकर के चाचा महेंद्र भाकर ने कहा, “मेडल न जीतने की निराशा तो है, लेकिन दो मेडल बड़ी उपलब्धि हैं. मनु ने स्कूल, देश और प्रांत का नाम रोशन किया. वह आज मेडल जीत पाती तो खुशी दोगुना हो जाती. हम लोगों को गोल्ड मेडल का पूरा यकीन था लेकिन जीत और हार एक खिलाड़ी के जीवन का हिस्सा होता है. वह बहुत कम मार्जिन से मेडल से चूक गईं, लेकिन जीत-हार लगी रहती है. मैं मनु को बहुत धन्यवाद भी देना चाहूंगा और वह अब आगे की तैयारियों पर फोकस करें.”

एएस/