गुना में प्रस्तावित बांध से डूबेगी सिंचित जमीन और गांव: दिग्विजय सिंह

Bhopal , 24 नवंबर . Madhya Pradesh के गुना जिले में बांधों का निर्माण प्रस्तावित है. राज्य के पूर्व Chief Minister दिग्विजय सिंह ने Chief Minister मोहन यादव को पत्र लिखकर इन बांधों के निर्माण से सिंचित जमीन और गांव के डूबने की आशंका जताई है.

दिग्विजय सिंह द्वारा सीएम मोहन यादव को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि स्वतंत्रता के तत्काल बाद देश को खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर बनाने की नीति की निरंतरता में दिसंबर 2024 में विषयांतर्गत लिंक परियोजना के अंतर्गत Madhya Pradesh एवं Rajasthan Government के बीच जल बंटवारे का समझौता स्वागत योग्य है. इस समझौते में कुंभराज (एक) और कुंभराज (दो) नाम से दो बांधों का निर्माण प्रस्तावित है, जिनका जलग्रहण क्षेत्र क्रमशः 5927 वर्ग किलोमीटर और 6458 वर्ग किलोमीटर तथा जल संग्रहण क्षेत्र क्रमशः 368.88 मिलियन क्यूबिक घन मीटर और 41.60 मिलियन क्यूबिक घन मीटर है.

बांधों का वास्तविक निर्माण स्थल तो परियोजना के विस्तृत प्रतिवेदन तैयार होने पर ही ज्ञात हो सकेगा, किंतु जल संसाधन के विभागीय अमले की गतिविधियों से यह अनुमानित है कि दो बांधों के स्थान पर इनके संयुक्त जल संग्रहण, लगभग 400 मिलियन क्यूबिक घन मीटर का एक बांध घाटाखेड़ी (जिला गुना) के पास बनाया जाएगा. इस बांध का आकार और स्थान चिंता का विषय है, क्योंकि इसके निर्माण से लगभग 10 हजार हेक्टेयर सिंचित कृषि भूमि और अनेक गांव डूब में चले जाएंगे.

सिंचित भूमि के कम होने का मुद्दा उठाते हुए पत्र में आगे लिखा गया है कि औद्योगीकरण, शहरीकरण और आधुनिकीकरण के कारण कृषि भूमि लगातार कम होती जा रही है. ऐसी स्थिति में इस बांध में इतनी अधिक सिंचित कृषि भूमि को डुबाना किसानों को आत्महत्या की ओर धकेलने जैसा होगा.

पूर्व Chief Minister सिंह ने Chief Minister यादव को लिखे पत्र में सुझाव देते हुए कहा है कि परियोजना प्रतिवेदन बनाते समय जलग्रहण क्षेत्र में जल धाराओं पर छोटे-छोटे वॉटर रिटेनिंग स्ट्रक्चर बनाकर वर्षा जल का संग्रहण किया जाए ताकि भू-जल (ग्राउंड वाटर) रिचार्ज होता रहे तथा एक्विफर आदि के रिसाव जल से मुख्य नदी के बहाव में भी इजाफा होता रहे. इस तरह वाटरशेड का लगभग 7000 हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होकर लाभान्वित हो सकता है. इतना ही नहीं, मुख्य नदी पर एक या दो बड़े बांधों के स्थान पर तीन-चार स्वचालित द्वारों के पिक-अप वियर्स बनाए जाने चाहिए. इनके निर्माण से डूब क्षेत्र न्यूनतम होगा और लाभ यथावत रह सकेंगे.

इस परियोजना में सिंचाई नहरों के माध्यम से न की जाकर लिफ्ट के द्वारा प्रेशराइज्ड पाइप से ही की जाना प्रस्तावित है, तो बड़े बांध बनाने का औचित्य प्रतीत नहीं होता है. पिकअप वियर्स निर्माण से किसानों की कृषि योग्य भूमि को डूबने से बचाया जा सकता है तथा इनसे भी बड़े बांध की तरह ही लिफ्ट इरिगेशन की जा सकती है. प्रस्तावित बांध के केचमेंट एरिया में भी पार्वती नदी में मिलने वाले नाले व छोटी नदियों पर भी पिकअप वियर्स के संयुक्त निर्माण पर भी विचार किया जा सकता है.

एसएनपी/डीकेपी