नई दिल्ली, 31 मार्च . एंटीडिप्रेसेंट दवाओं का लंबे समय तक उपयोग करने वाले लोगों को अचानक हृदयगति रुकने का खतरा बढ़ सकता है. एक अध्ययन में पाया गया है कि यह खतरा उम्र और दवा लेने की अवधि पर निर्भर करता है.
अचानक हृदयगति रुकने का मतलब है किसी व्यक्ति की अप्रत्याशित मृत्यु, जो हृदय से संबंधित समस्या के कारण होती है. अगर किसी के सामने ऐसा होता है, तो लक्षण दिखने के एक घंटे के अंदर मौत हो सकती है.
डेनमार्क के 43 लाख निवासियों पर किए गए इस अध्ययन से पता चला कि जो लोग 1 से 5 साल तक एंटीडिप्रेसेंट लेते हैं, उनमें अचानक हृदयगति रुकने का खतरा 56 प्रतिशत अधिक होता है. वहीं, जो लोग 6 साल या उससे अधिक समय तक इन दवाओं का उपयोग करते हैं, उनके लिए यह खतरा 2.2 गुना अधिक होता है.
30 से 39 साल की उम्र के लोगों में, जिन्होंने 1 से 5 साल तक एंटीडिप्रेसेंट लिए, उन्हें अचानक हृदयगति रुकने का खतरा बिना दवा लेने वालों की तुलना में करीब तीन गुना अधिक था. 6 साल या उससे अधिक समय तक दवा लेने वालों में यह खतरा पांच गुना तक बढ़ जाता है.
50 से 59 साल की उम्र के लोगों में, जो 1 से 5 साल तक एंटीडिप्रेसेंट लेते हैं, उनका अचानक हृदयगति रुकने का खतरा दोगुना हो जाता है. और जो 6 साल या उससे अधिक समय तक दवा लेते हैं, उनके लिए यह खतरा चार गुना अधिक होता है.
डॉ. जस्मिन मुज्कानोविक, जो कोपेनहेगन, डेनमार्क के रिग्सहॉस्पिटलेट हृदय केंद्र से हैं, ने कहा, “एंटीडिप्रेसेंट लेने की अवधि जितनी लंबी होगी, अचानक हृदयगति रुकने का खतरा उतना ही अधिक होगा, और यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति ने दवा कितने समय तक ली है.”
उन्होंने आगे कहा, “जो लोग 6 साल या उससे अधिक समय तक दवा लेते हैं, उनके लिए खतरा 1 से 5 साल तक दवा लेने वालों की तुलना में और भी अधिक होता है.”
शोधकर्ताओं ने बताया कि 39 साल से कम उम्र के लोगों में यह समस्या अक्सर हृदय की मांसपेशियों के मोटा होने संबंधी समस्याओं के कारण होती है.बुजुर्गों में, दिल को रक्त पहुंचाने वाली नसों का संकुचित होना इसका मुख्य कारण होता है. यह अध्ययन यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी के वैज्ञानिक सम्मेलन ईएचआरए में प्रस्तुत किया गया.
मुज्कानोविक ने बताया कि अचानक हृदय गति रुकने का खतरा एंटीडिप्रेसेंट के संभावित हानिकारक प्रभावों और दवा लेने की अवधि के कारण हो सकता है. इसके अलावा, “यह बढ़ोतरी डिप्रेशन से जुड़े व्यवहार या जीवनशैली के कारकों, जैसे स्वास्थ्य सेवा में देरी या खराब हृदय स्वास्थ्य, से भी प्रभावित हो सकती है. इसमें आगे और शोध की आवश्यकता है.”
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