नई दिल्ली, 1 मार्च . केरल की वायनाड लोकसभा सीट से सांसद प्रियंका गांधी ने केरल के आशा वर्कर की स्थिति को लेकर आवाज उठाई है. उन्होंने कहा कि आशा वर्कर के साथ केरल सरकार का उपेक्षापूर्ण व्यवहार बेहद निराशाजनक है.
प्रियंका गांधी ने एक्स पर लिखा, “आशा वर्कर हमारी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की सबसे बड़ी ताकत हैं, जो निस्वार्थ भाव से समुदायों की सेवा करती हैं, खासकर संकट के समय में. डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री के रूप में पहले कार्यकाल के दौरान वह भारत के स्वास्थ्य सेवा नेटवर्क का एक अभिन्न अंग बन गईं.”
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर अपनी जान जोखिम में डालने से लेकर भारत भर में अनगिनत परिवारों को मातृ देखभाल और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने तक, उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि स्वास्थ्य सेवा सबसे हाशिए पर पड़े लोगों तक भी पहुंचे. केरल में आशा कार्यकर्ता अपने 7000 रुपये के मामूली मानदेय में उचित वृद्धि के लिए विरोध कर रही हैं, जो कर्नाटक और तेलंगाना में उनके समकक्षों को मिलने वाले मानदेय से बहुत कम है. उनकी लड़ाई गरिमा और सम्मान की लड़ाई है.
उन्होंने आगे कहा कि यह भयावह है कि समाज की रीढ़ मानी जाने वाली महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए इस तरह भीख मांगनी पड़ रही है. न्याय के बजाय, उन्हें केरल सरकार से केवल उदासीनता और उन्हें चुप कराने के प्रयास मिले हैं. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस केरल की आशा कार्यकर्ताओं के साथ अटूट एकजुटता में खड़ी है. मेरी बहनों, आपकी लड़ाई व्यर्थ नहीं जाएगी. अगले वर्ष जब यूडीएफ सत्ता में आएगी, तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि आपके वेतन में वृद्धि हो तथा आपको वह सम्मान और मान्यता मिले, जिसके आप हकदार हैं.
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