नई दिल्ली, 27 जून . शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति वही पढ़ती हैं, जो कि उन्हें पढ़ने के लिए दिया जाता है. उनके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकला, उन्होंने वही कहा, जो उन्हें पढ़ने के लिए दिया गया था, वो अपने अभिभाषण के जरिए सरकार की बातों को रखने का प्रयास कर रही थीं, जो कि किसी भी मायने में उचित नहीं है.
प्रियंका चतुर्वेदी ने सवाल उठाते हुए कहा, “राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने अभिभाषण में कहा कि हमें बहुमत वाली सरकार मिली है, लेकिन शायद वह भूल रही हैं कि भारतीय जनता पार्टी को इस बार बहुमत नहीं मिला है. राष्ट्रपति को यह बात समझनी होगी कि यह सरकार टीडीपी और जेडीयू के अलायंस पर बनी है. उन्होंने खुलकर युवाओं पर बात रखी, लेकिन बेरोजगारी पर एक शब्द तक नहीं कहा. उन्होंने नीट एग्जाम लीक मामले में चल रही जांच के बारे में भी कोई टिप्पणी नहीं की. किस तरह से बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है. बच्चों के एग्जाम कैंसिल हो रहे हैं. इन सभी विषयों पर भी राष्ट्रपति ने कुछ नहीं कहा. सिर्फ अपना ही महिमामंडन करती रहीं.“
शिवसेना नेता ने आगे कहा, “जिस तरह से राष्ट्रपति ने युवाओं की बात की, तो मुझे लगा कि वो अग्निवीर पर भी कुछ बोलेंगी, लेकिन उन्होंने इस पर भी कुछ नहीं कहा. जिससे यह साफ जाहिर होता है कि केंद्र की मोदी सरकार युवाओं को लेकर कितनी संवेदनशील है. अब ये लोग बार-बार इमरजेंसी पर बात करते हैं. अब इमरजेंसी आज नहीं, बल्कि पांच दशक पहले लगाई गई थी, जिसके बाद जनता ने उन्हें सबक सिखाया. वहीं जनता से सबक सीखने के बाद फिर जनता के बीच लौटे. जनता का विश्वास हासिल किया. अब बीजेपी बार-बार संविधान और पांच दशक पहले लगाए गए आपातकाल की बात करती है. मुझे लगता है कि इससे अब जनता भी त्रस्त हो चुकी है. जनता भी इस सरकार से यही उम्मीद कर रही है कि वो लोगों के हित पर कोई बात करे. इस सरकार को चाहिए कि वो जनता से जुड़े मुद्दों पर बात करे और खुलकर बात करे. बेरोजगारी पर बात करे. विकास पर बात करे. लेकिन, इन लोगों के पास इन मुद्दों पर बात करने के लिए कुछ नहीं है. निसंदेह, यह हमारे लिए दुखदायी है, यह सरकार अब राष्ट्रपति जैसे पद को भी अपनी राजनीति चमकाने के लिए इस्तेमाल कर रही है.“
उन्होंने कहा, “यह सरकार जनता से जुड़ी मौजूदा समस्याओं पर कुछ भी बोलने से बचती है. मणिपुर पर बोलने से बचेगी, जम्मू-कश्मीर पर बोलने से बचेगी, आतंकवाद पर बोलने से बचेगी, महिला सशक्तिकरण पर बोलने से बचेगी, लेकिन आज से पांच दशक पहले जो हुआ, उस पर गाना गा रही है. जनता अब सरकार की इस शैली से तंग आ चुकी है.“
प्रियंका चतुर्वेदी ने ओम बिरला द्वारा लोकसभा सत्र के पहले ही दिन इमरजेंसी का जिक्र करने पर निशाना साधा. उन्होंने ओम बिरला का नाम लिए बगैर कहा कि उन्हें यह समझना होगा कि वो महज किसी एक पक्ष के ही स्पीकर नहीं, बल्कि दोनों पक्षों के हैं, लेकिन वो लगातार जहां एक पक्ष को दबाने की कोशिश करते हैं, तो दूसरी तरफ एक को उठाते हैं, वह उचित नहीं है. एक बात समझ से परे है कि लोकसभा सत्र के पहले दिन जब सभी लोग लोकतंत्र का उत्सव मनाने के लिए एकत्रित हुए थे, तब भला क्यों जानबूझकर इमरजेंसी का जिक्र किया गया. इससे यह साफ स्पष्ट होता है कि यह सब कुछ सोची-समझी साजिश के तहत किया गया.
वहीं सैम पित्रोदा को कांग्रेस ओवरसीज की कमान मिलने पर भी प्रियंका चतुर्वेदी ने टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस में किसे कौन-सा पद दिया जाता है और कौन सा नहीं, यह हम या आप नहीं, बल्कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तय करते हैं. उन्हें बीते दिनों उनके पद से बर्खास्त कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने विवादित टिप्पणी कर दी थी. अब उनकी वापसी क्यों हुई है. इसकी वजह आपको कांग्रेस ही बता सकती है.
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एसएचके/