मतदाता पुनरीक्षण प्रजातंत्र के खिलाफ है: प्रियंका चतुर्वेदी

Mumbai , 24 जुलाई . शिवसेना (यूबीटी) के नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने Thursday को बिहार मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण को प्रजातंत्र के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा कि इस मामले में Supreme court को भी हस्तक्षेप करना पड़ा, लेकिन अब स्थिति ऐसी हो चुकी है कि ये लोग Supreme court की भी बात मानने को तैयार नहीं हो रहे हैं. शीर्ष अदालत ने खुद कहा था कि मतदाता पुनरीक्षण के दौरान चुनाव आयोग की ओर से जिन दस्तावेजों की मांग की गई है, वो सभी मतदाता के पास कहां से आएंगे?

उन्होंने कहा, “मतदाता पुनरीक्षण की प्रक्रिया विपक्ष को दबाने के लिए संचालित की जा रही है, क्योंकि सत्तापक्ष को इस बात का डर है कि कहीं विपक्ष के लिए आने वाले दिनों में Political स्थिति अनुकूल नहीं हो जाए, इसलिए वो इस तरह की प्रक्रिया को संचालित कर रहे हैं. Government की ओर से बेशक दावा किया जाए कि मतदान पुनरीक्षण की प्रक्रिया फर्जी वोटर्स को चिन्हित करने के लिए हो, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. इस प्रक्रिया के तहत फर्जी मतदाताओं को चिन्हित करने की आड़ में लोकतंत्र के सिद्धांतों को ताक पर रखने की तैयारी की जा रही है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे.”

प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “Maharashtra विधानसभा चुनाव के दौरान भी मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश Government की तरफ से की गई थी. वे चाहते थे कि विपक्षी खेमा अपने पंख न फैला पाए, और अफसोस, ये लोग ऐसा करने में सफल भी रहे. मैं यह बात पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रही हूं.”

इसके अलावा, शिवसेना (यूबीटी) के नेता ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि केंद्र Government अलग-अलग राज्यों में Political स्थिति को अपने अनुकूल करने के लिए मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है. इसे देखते हुए केंद्र Government अब मतदाता पुनरीक्षण लेकर आई है.

राहुल गांधी के उठाए सवालों का समर्थन करते हुए चतुर्वेदी ने कहा, “Jharkhand में भी यही हथकंडा अपनाने की कोशिश की थी. भाजपा ने तो यहां तक कह दिया था कि Jharkhand में सभी बांग्लादेशी हैं. जब कभी-भी भाजपा को यह लगता है कि आगामी दिनों में उनके लिए Political स्थिति प्रतिकूल हो सकती है, तो यह इस तरह की प्रक्रिया का सहारा लेकर मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं. लेकिन, एक स्वस्थ लोकतंत्र में इस तरह की प्रक्रिया को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है.”

वहीं, उन्होंने चुनाव आयोग की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा किया और कहा कि जिस तरह से आयोग मतदाता पुनरीक्षण के संबंध में किए गए सवालों से बचने की कोशिश कर रहा है, उससे इसकी कार्यशैली पर सवाल खड़ा होना स्वाभाविक है.

एसएचके/केआर