Mumbai , 28 जुलाई . संसद के मानसून सत्र में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा शुरू कराए जाने को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने केंद्र Government पर निशाना साधा. उन्होंने से बातचीत में Government की चुप्पी और संसद में चर्चा से बचने की प्रवृत्ति पर सवाल उठाए.
उन्होंने कहा कि सच्चाई छुपाने से India की वैश्विक विश्वसनीयता को नुकसान हो रहा है और Government को संसद में पूरी पारदर्शिता के साथ जवाब देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस लंबे समय से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रही थी, ताकि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर खुली चर्चा हो. 1948, 1962, 1965, 1971 और 1999 के युद्ध के दौरान संसद सत्र चलता रहा और तत्कालीन प्रधानमंत्रियों ने देश को विश्वास में लिया. 1947-48 के युद्ध में, जब संसद नहीं थी, तब भी जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा को संबोधित किया और रेडियो प्रसारण के जरिए जनता को युद्ध की जानकारी दी. उस समय टेलीविजन नहीं था, फिर भी पारदर्शिता बरती गई.
उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने हार के बावजूद संसद से कभी मुंह नहीं मोड़ा. 1962 में हमारी सेना को भारी नुकसान हुआ. नेहरू हर सुबह संसद में आकर स्थिति बताते थे, भले ही खबरें बुरी थीं. मुझे दुख है कि आज हमने बोमडिला खो दिया, नीफा में पीछे हटना पड़ा. फिर भी, उन्होंने 8-9 नवंबर 1962 को विशेष सत्र बुलाया और विपक्ष के सवालों का जवाब दिया.
उन्होंने आगे कहा कि तत्कालीन Prime Minister लाल बहादुर शास्त्री ने अविश्वास प्रस्ताव का सामना किया, लेकिन संसद को बंद नहीं किया. इंदिरा जी हर दिन संसद में बयान देती थीं. उन्होंने रामलीला मैदान में 10 लाख लोगों की सभा को संबोधित किया था. विदेशी राजदूतों ने आश्चर्य जताया कि युद्ध के बीच इतनी बड़ी जनसभा कैसे हो रही है. लेकिन, इंदिरा जी ने देश और विपक्ष को साथ लिया. सभी युद्धों में संसद में गरमा-गरम बहस हुई, Government की आलोचना हुई, लेकिन अंत में सभी दलों ने एकता का प्रस्ताव पारित कर Government का समर्थन किया.
उन्होंने कहा कि 1999 के कारगिल युद्ध के समय वाजपेयी जी ने विपक्षी नेताओं की कई बैठकें बुलाईं. पहली बैठक में डीजीएमओ ने वीडियो प्रेजेंटेशन के जरिए कारगिल की स्थिति समझाई. उन्होंने सवाल उठाया कि Prime Minister Narendra Modi ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर संसद का सामना करने से क्यों कतरा रहे हैं. मुझे समझ नहीं आता कि मोदी जी किस बात से डर रहे हैं. देर से ही सही, संसद में चर्चा शुरू हुई, यह अच्छी बात है. लेकिन, मुझे आशंका है कि जब भी मुश्किल सवाल उठेंगे, सत्तापक्ष हंगामा कर संसद को बंद कर देगा. इससे पूरी चर्चा नहीं हो पाएगी और जनता को जवाब नहीं मिलेगा.
चव्हाण ने कहा, “Pakistan ने पहले दिन दावा किया कि उसने India के विमान गिराए. हमारे वायुसेना जनरल ने कहा कि युद्ध में नुकसान होता है. लेकिन, सही समय पर बताएंगे. सिंगापुर में स्वीकार किया कि हमारे विमान गिरे. अमेरिकी President ट्रंप ने भी कहा कि कई विमान गिरे. फिर Government सच्चाई छुपाने में क्यों डर रही है? युद्ध में जीत-हार चलती रहती है, लेकिन सच्चाई से भागने से काम नहीं चलेगा. उन्होंने Government से पारदर्शिता बरतने की मांग की, ताकि India की वैश्विक विश्वसनीयता बनी रहे.
उन्होंने कहा, “Prime Minister को एक स्टेट्समैन बनना चाहिए था, जो देश और विपक्ष को साथ लेकर चलते. लेकिन, वे सिर्फ पॉलिटिशियन बनकर रह गए. एक अवसर था कि वे देश को एकजुट करते, लेकिन वे बयान देने में असफल रहे. जनता को सच जानने का हक है और Government को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए. हम उम्मीद करते हैं कि संसद में सभी सवालों के जवाब मिलेंगे. Government को चाहिए कि वह विपक्ष के साथ मिलकर देश को एकजुट रखे.
–
एसएचके/एबीएम