प्रधानमंत्री मोदी का मणिपुर दौरा और पहले होना चाहिए था : अशोक गहलोत

jaipur, 12 सितंबर . Prime Minister Narendra Modi 13 सितंबर को पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर जा रहे हैं, जिसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व Chief Minister अशोक गहलोत ने औपचारिक करार दिया.

उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि Prime Minister को काफी पहले ही मणिपुर जाकर वहां के लोगों की सुध लेनी चाहिए. लेकिन, अफसोस, उन्होंने आज तक ऐसा करना जरूरी नहीं समझा और अब वो मणिपुर जा रहे हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि उनका दौरा कुछ नहीं, सिर्फ औपचारिकता भर है. मैं समझता हूं कि इस तरह के दौरे को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि Prime Minister सिर्फ चार घंटे के लिए मणिपुर जा रहे हैं. मैंने दो महीने पहले गृह मंत्री अमित शाह को कहा भी था कि वे मणिपुर जाएं और वहां की स्थिति के बारे में समझने का प्रयास करें.

कांग्रेस नेता ने कहा कि सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि किसी भी राज्य में Prime Minister के दौरे का बहुत ही महत्व होता है. आज मणिपुर की स्थिति वैश्विक मोर्चे पर चर्चा का विषय बनी हुई है. अब वहां की स्थिति किसी से छुपी हुई नहीं है. वहीं, अब अगर मणिपुर से हिंसा की खबर सामने आई है, तो इससे यह साफ जाहिर होता है कि यह Prime Minister मोदी के दौरे का जवाब है. मैं कहता हूं कि अगर Prime Minister मोदी काफी पहले ही मणिपुर दौरे पर जाते, तो आज इस तरह की स्थिति ही पैदा नहीं होती. लेकिन, यह दुख की बात है कि आज तक Prime Minister ने कभी भी मणिपुर की स्थिति की सुध लेने की जरूरत नहीं समझी. शायद इसी वजह से वहां के लोगों में Prime Minister के आगमन को लेकर गुस्सा है.

साथ ही, अशोभनीय टिप्पणी के संबंध में सवाल किए जाने पर कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा कि सभी लोग एक-दूसरे की माता का सम्मान करते हैं. मैं कहता हूं कि निसंदेह राहुल गांधी Prime Minister मोदी की मां का सम्मान करते हैं. विपक्ष के नेता पक्ष के नेताओं की मां का सम्मान करते हैं और पक्ष के नेता भी विपक्ष के नेताओं का सम्मान करते हैं. हर माता का सम्मान इस देश में होना चाहिए. मां तो मां होती है. मां की जगह इस दुनिया में कोई भी नहीं ले सकता है. मैं समझता हूं कि अब मां जैसे विषय को राजनीतिक विषय बनाना उचित नहीं है.

इसके अलावा, उन्होंने नेपाल की स्थिति को चिंता का विषय बताया और कहा कि इससे पहले भी कई देश, जिनमें श्रीलंका और अफगानिस्तान जैसे कई देश शामिल हैं, जहां पर राजनीतिक अस्थिरता हमें देखने को मिल चुकी है, ऐसे में अगर अब मौजूदा समय में हमारे पड़ोसी देश नेपाल में इस तरह की हिंसात्मक स्थिति बनी हुई है, तो निसंदेह हमें इसके समाधान का मार्ग तलाशना होगा.

उन्होंने कहा कि हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. यहां देश की जनता को अपने नेतृत्व पर भरोसा है. इसके अलावा, कई मामलों में भारत ने वैश्विक मंच पर अहम भूमिका निभाई है. ऐसी स्थिति में हमें इस बात की नैतिक जिम्मेदारी लेनी होगी कि आखिर नेपाल में हमारे रहने के बावजूद ऐसा कैसे हो गया. आखिर इसके पीछे कौन साजिश कर रहा है? कौन मुल्क ऐसा कर रहा है? इस बारे में पता होना चाहिए. इसकी जानकारी निश्चित तौर पर विदेश मंत्रालय के पास है और होनी चाहिए.

एसएचके/जीकेटी