New Delhi, 22 जुलाई . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Wednesday से शुरू हो रही अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान यूनाइटेड किंगडम के अपने समकक्ष कीर स्टार्मर से मुलाकात करेंगे. इस दौरान रणनीतिक साझेदारी (सीएसपी) को और मजबूत करने समेत कई मुद्दों पर व्यापक चर्चा की जाएगी. प्रधानमंत्री मोदी के यात्रा पर रवाना होने से पहले विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने Tuesday को यूके और मालदीव की यात्रा के बारे में जानकारी दी.
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “पदभार ग्रहण करने के बाद से यह प्रधानमंत्री की यूनाइटेड किंगडम की चौथी यात्रा होगी. इससे पहले वह 2015 और 2018 में ब्रिटेन की यात्रा कर चुके हैं. इसके अलावा 2021 में ग्लासगो में आयोजित कॉप-26 शिखर सम्मेलन में भी शामिल हुए थे. पिछले वर्ष ही, प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर दो बार मिल चुके हैं. पिछले साल पहली बार रियो डी जनेरियो में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान और दूसरी मुलाकात पिछले महीने जून में कनाडा के कनानसकीस में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई. वे कई बार फोन पर भी संपर्क में रहे हैं.”
इस आधिकारिक यात्रा पर प्रधानमंत्री मोदी और कीर स्टार्मर क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान के अलावा भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण आयाम की समीक्षा करेंगे. इसमें व्यापार और अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी और नवाचार, रक्षा और सुरक्षा, जलवायु, स्वास्थ्य, शिक्षा और लोगों के बीच संबंधों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.
प्रधानमंत्री मोदी किंग चार्ल्स तृतीय से भी मुलाकात करेंगे और यूनाइटेड किंगडम में व्यापारिक नेताओं और भारतीय समुदाय के साथ बातचीत करेंगे.
विदेश सचिव मिस्री ने कहा, “शिखर सम्मेलन स्तर की बैठकों के अलावा, विदेश मंत्री और उनके समकक्ष, ब्रिटिश विदेश सचिव के स्तर पर नियमित बैठकें होती हैं. मंत्रिस्तरीय स्तर पर कई अन्य संस्थागत तंत्र हैं, जो रणनीतिक मुद्दों, वित्तीय, आर्थिक, ऊर्जा संबंधी मुद्दों के साथ-साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित हैं. समकालीन समय में व्यापार, प्रौद्योगिकी, अनुसंधान, शिक्षा और नवाचार अर्थव्यवस्था के क्षेत्र हमारे द्विपक्षीय सहयोग के प्रमुख स्तंभ बनकर उभरे हैं. उदाहरण के लिए, प्रौद्योगिकी-सुरक्षा पहल (टीएसआई) पर पिछले साल हस्ताक्षर किए गए थे. यह इस बात का एक प्रमुख संकेत है कि हम महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों में अपने संबंधों को कहां ले जा रहे हैं.”
भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापारिक संबंधों पर विदेश सचिव ने कहा, “ब्रिटेन भारत में छठा सबसे बड़ा निवेशक भी है, जिसका कुल निवेश 36 अरब अमेरिकी डॉलर है और दिलचस्प बात यह है कि भारत स्वयं ब्रिटेन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का एक बड़ा स्रोत है, जिसका कुल निवेश 20 अरब अमेरिकी डॉलर है. ब्रिटेन में लगभग 1000 भारतीय कंपनियां हैं, जो लगभग एक लाख लोगों को रोजगार देती हैं और इनका कुल राजस्व 91 अरब अमेरिकी डॉलर है.”
उन्होंने नीति आयोग और ब्रिटेन की ओर से लंदन शहर के बीच समन्वित यूके-भारत इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग ब्रिज के बारे में भी बात की. यह तंत्र भारत में हरित इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए फाइनेंस जुटाने में ब्रिटेन की विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए काम करता है.
विक्रम मिस्री ने दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों का भी जिक्र किया और कहा, “रक्षा क्षेत्र में हम सशस्त्र बलों की तीनों शाखाओं के बीच नियमित बातचीत और अभ्यास देख रहे हैं. हमने एक-दूसरे की सैन्य अकादमियों में सैन्य प्रशिक्षकों को नियुक्त किया है और हाल के दिनों में हमने जिन महत्वपूर्ण साझेदारी परियोजनाओं पर काम शुरू किया है, उनमें से एक दोनों देशों के बीच इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन क्षमता पर विचार करने का समझौता है.”
विदेश सचिव ने बताया कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने मलेरिया के टीके के सह-विकास पर सहमति जताई है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने 2023 में मंजूरी दे दी है. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे दोनों साझेदारों ने कोविड-19 महामारी के दौरान कोविशील्ड वैक्सीन विकसित की थी.
उन्होंने बताया कि साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी ने नई शिक्षा नीति के तहत गुरुग्राम में एक परिसर खोला है और कई अन्य ब्रिटिश यूनिवर्सिटी भी इसी नीति के तहत भारत में परिसर खोलने पर विचार कर रही हैं.
विदेश सचिव ने ब्रिटेन में प्रवासी भारतीयों की भूमिका पर जोर दिया, जिन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में योगदान दिया है. साथ ही, ब्रिटेन के समाज और अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है.
विक्रम मिस्री ने कहा, “इस संबंध का सबसे महत्वपूर्ण और संभवतः आधारभूत पहलू भारत और ब्रिटेन को जोड़ने वाला जीवंत सेतु (लिविंग ब्रिज) है, लगभग 18 लाख प्रवासी भारतीयों ने न सिर्फ हमारे दोनों देशों के बीच मैत्री के बंधन को मजबूत करने में योगदान दिया है, बल्कि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था और समाज में भी विशेष योगदान दिया है.”
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डीसीएच/जीकेटी