प्रधानमंत्री मोदी ने कोडरमा-वैशाली मेमू ट्रेन को दिखाई हरी झंडी, बौद्ध तीर्थ स्थानों पर पर्यटन को मिलेगा लाभ

गया, 22 अगस्त . क्षेत्रीय रेल संपर्क और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Friday को गया जंक्शन से वीडियो लिंक के माध्यम से बहुप्रतीक्षित कोडरमा-वैशाली मेमू (मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) पैसेंजर ट्रेन का उद्घाटन किया. डीडीयू मंडल के एडीआरएम (अतिरिक्त मंडल रेल प्रबंधक) दिलीप कुमार ने मेमू मिलने से क्षेत्र को विशेष लाभ होने की बात कही.

यह नई ट्रेन सेवा कोडरमा, नवादा, नालंदा, राजगीर, बोधगया और वैशाली जैसे प्रमुख स्थलों को जोड़कर बौद्ध सर्किट तक पहुंच को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी.

यह रेल मार्ग न केवल बिहार और झारखंड को जोड़ता है, बल्कि इससे धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, साथ ही दोनों राज्यों में छात्रों, श्रमिकों और चिकित्सा सेवाओं की तलाश करने वाले लोगों के लिए संपर्क में सुधार होगा.

इस शुभारंभ के महत्व को बताते हुए, डीडीयू मंडल के एडीआरएम (अतिरिक्त मंडल रेल प्रबंधक) दिलीप कुमार ने से कहा, “यह मेमू ट्रेन मूल रूप से बिहार के प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थलों को जोड़ने वाली एक तेज सेवा है. यह वैशाली से नालंदा, फिर राजगीर और अंत में गया, सभी प्रमुख बौद्ध स्थलों तक चलेगी.”

उन्होंने बताया कि यह मेमू ट्रेन लगातार कम से मध्यम दूरी की यात्रा के लिए डिजाइन की गई है, जो उच्च दक्षता और बेहतर यात्री सुविधा प्रदान करती है. इसके शुभारंभ से उत्तरी छोटानागपुर और मगध क्षेत्रों को विशेष रूप से लाभ होने की उम्मीद है क्योंकि इससे छोटे शहर और ग्रामीण क्षेत्र सीधे रेलवे मानचित्र पर आ जाएंगे.

वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (डीसीएम) राजीव रंजन के अनुसार यह पहल अमृत भारत एक्सप्रेस परियोजना से भी जुड़ी है, जिसका उद्देश्य रेल यात्रा को आधुनिक बनाना है.

कोडरमा-वैशाली मेमू सेवा से यात्रियों की यात्रा में पहले से ज्यादा और विश्वसनीयता में सुधार होने की उम्मीद है. वहीं, बौद्ध पर्यटन क्षेत्र को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही पर्यटकों के लिए एक अधिक सुलभ मार्ग के रूप में स्थापित करने की भी उम्मीद है.

पीएम मोदी ने रेल, सड़क, स्वास्थ्य, आवास और स्वच्छता जैसे क्षेत्रों से जुड़ी लगभग 13,000 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया. नई मेमू सेवा को संतुलित क्षेत्रीय विकास प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.

एससीएच/जीकेटी