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New Delhi, 15 नवंबर . ‘जनजातीय गौरव दिवस’ उस संघर्ष और स्वाभिमान की गूंज है, जिसकी मशाल भगवान बिरसा मुंडा जैसे महापुरुषों ने जलाई. Prime Minister Narendra Modi के नेतृत्व में जनजातीय नायकों की गौरवशाली विरासत को राष्ट्रीय सम्मान मिला, चाहे जनजातीय गौरव दिवस हो, एकलव्य मॉडल स्कूल हो, पीवीटीजी मिशन हो, वन धन केंद्र हो या अभूतपूर्व इंफ्रास्ट्रक्चर.
यह एक ऐसी यात्रा है जो परंपरा को शक्ति, संस्कृति को सम्मान और समाज को आत्मविश्वास में बदलती है.
‘धरती आबा’ के रूप में प्रसिद्ध बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के मौके पर ‘मोदी आर्काइव’ ने Prime Minister Narendra Modi की ‘आदिवासी नीति’ के बारे में विस्तार से जानकारी दी है. Prime Minister मोदी के जीवन और उनकी यात्रा पर नजर रखने वाले मंच ‘मोदी आर्काइव’ की ओर से जारी की गई डायरी में कई तस्वीरें और क्लिप शेयर की गई हैं.
उस क्षण का भी उल्लेख किया गया है जब एक युवा प्रचारक के रूप में Narendra Modi ने साबरकांठा, बड़ौदा और डांग के आदिवासी परिवारों के बीच कई साल बिताए. उनके घरों में रहे, उनके साथ भोजन किया और उनके संघर्षों को प्रत्यक्ष रूप से समझा.
‘मोदी आर्काइव’ के अनुसार, 1980 के दशक में Gujarat में पड़े सूखे के दौरान जब कई गांव सहायता से वंचित थे, तब Narendra Modi ने आदिवासी परिवारों के लिए भोजन और पानी पहुंचाने की व्यवस्था की. उन्होंने स्वयंसेवकों से आग्रह किया कि वे भव्य समारोहों के बजाय किसी अधिक सार्थक आयोजन का आयोजन करें. सिलवासा में वनवासी कल्याण आश्रम में आयोजित एक सभा में आदिवासी संस्कृति पर उनके भाषण ने President जैल सिंह को बहुत प्रभावित किया.
भाजपा के राज्य महासचिव के रूप में उन्होंने नए आदिवासी नेताओं का मार्गदर्शन किया और Gujarat का पहला आदिवासी अधिकार पत्र (आदिवासी अधिकार घोषणापत्र, 1995) जारी किया, जिसमें आवास, स्वास्थ्य और स्वदेशी जनजातियों के सम्मान पर ध्यान केंद्रित किया गया था.
Narendra Modi की आदिवासी कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता Chief Minister के रूप में उनके पहले दिन से ही स्पष्ट थी. ‘मोदी आर्काइव’ में बताया गया है कि 2001 के कच्छ भूकंप के बाद उन्होंने अपनी पहली दिवाली चोबारी में मनाई, जो उस आपदा से तबाह हुआ एक आदिवासी गांव था. Chief Minister के रूप में उन्होंने अपने प्रचारक काल में जो सीखा था, उसे शासन में लागू किया.
वनबंधु कल्याण योजना (2007) और Chief Minister के दस सूत्रीय कार्यक्रम के माध्यम से उन्होंने आदिवासी उत्थान के लिए India के पहले मिशन मोड मॉडलों में से एक का बीड़ा उठाया, जिसके तहत शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सिंचाई और विद्युतीकरण को दूरस्थ क्षेत्रों तक मापने योग्य परिणामों और वास्तविक समय की निगरानी के साथ पहुंचाया गया.
‘मोदी आर्काइव’ में बताया गया है कि Chief Minister के रूप में Narendra Modi ने स्वयं देखा कि कैसे पहुंच की कमी के कारण आदिवासी बच्चे उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं. उन्होंने याद करते हुए कहा, “उमरगाम से अंबाजी तक कक्षा 12 के लिए एक भी विज्ञान विद्यालय नहीं था.”
उनकी Government ने सबसे पहले छात्रावास, व्यावसायिक पाठ्यक्रम और शिक्षक प्रशिक्षण जोड़कर ऐसे विद्यालय बनाए. 2000 के दशक के शुरुआती दौर में भी Gujarat के आदिवासी स्कूल अपने समय से आगे थे, जहां बायोगैस संयंत्रों, सौर ऊर्जा संयंत्रों और जल संचयन के बारे में पढ़ाया जाता था और विज्ञान को स्थायित्व से जोड़ा जाता था.
‘मोदी आर्काइव’ के अनुसार, Chief Minister मोदी ने दाहोद में कहा, “हमने शिक्षा को महत्व दिया क्योंकि हम आदिवासी समुदायों, उनके युवाओं और उनके भविष्य की परवाह करते हैं. हमारे आदिवासी बच्चे पढ़ाई के लिए विदेश गए हैं. कुछ पायलट भी हैं.”
इसके अलावा, उन्होंने वन अधिकार अधिनियम (2006) को प्रभावी ढंग से लागू किया और दक्षिण Gujarat के पांच जिलों में आदिवासियों को व्यक्तिगत रूप से भूमि आवंटन पत्र सौंपे, जिससे उन्हें वन भूमि पर खेती करने का अधिकार मिला. उन्होंने संकल्प लिया कि आदिवासी अब बिचौलियों के हाथों ठगे नहीं जाएंगे, क्योंकि राज्य Government ने आदिवासी किसानों को जमीन, पानी और बिजली उपलब्ध कराई है.
उसी कार्यक्रम में Chief Minister मोदी ने कहा, “आदिवासी वर्षों से वन भूमि पर मालिकाना हक पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. राज्य Government ने नई तकनीक के माध्यम से प्रमाण इकट्ठे किए और अस्वीकृत आवेदनों का फिर से मूल्यांकन करने का आदेश दिया. राज्य Government ने अस्वीकृत 22 हजार आवेदनों को मंजूरी दे दी.”
Chief Minister के रूप में Narendra Modi के कार्यकाल के दौरान सड़क संपर्क के साथ-साथ सभी आदिवासी क्षेत्रों में जल आपूर्ति, सिंचाई और निरंतर बिजली जैसी बुनियादी संरचना और सुविधाओं का विकास करके दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों को निकटवर्ती आर्थिक केंद्रों से जोड़ा गया.
‘मोदी आर्काइव’ में बताया गया है कि Gujarat के आदिवासी जिलों में उन्होंने ऐसी पहल शुरू कीं जो जमीनी स्तर पर परिवारों की देखभाल करती थीं. दूध संजीवनी योजना (2006-07) ने स्कूली बच्चों को फोर्टिफाइड दूध उपलब्ध कराया, जबकि चिरंजीवी योजना (2005) ने सुरक्षित मातृत्व, नियमित जांच और गंभीर सर्जरी के लिए सहायता सुनिश्चित की. उनकी Government ने सिकल सेल एनीमिया और लेप्टोस्पायरोसिस के खिलाफ शुरुआती अभियानों का नेतृत्व किया. यही आधारभूत कार्य आगे चलकर राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन (2023) के रूप में विकसित हुआ, जिसके तहत अब तक 6 करोड़ से ज्यादा लोगों की जांच की जा चुकी है.
2011 में Gujarat ने एक नया इतिहास रचा, जब एक आदिवासी परिवार से आने वाले युवा विधायक गणपत वसावा को सर्वसम्मति से राज्य विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया. उस समय Chief Minister के तौर पर Narendra Modi ने इसे ‘एक दुर्लभ और अभूतपूर्व घटना’ बताया.
Prime Minister के रूप में, उन्होंने जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों और जनजातीय गौरव दिवस के माध्यम से इस विरासत को आगे बढ़ाया और यह सुनिश्चित किया कि India के प्रथम स्वतंत्रता सेनानियों का साहस पीढ़ियों को प्रेरित करता रहे. उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि द्रौपदी मुर्मू India की पहली जनजातीय President बनें, जो सच्चे प्रतिनिधित्व और सशक्तिकरण का प्रतीक एक मील का पत्थर है.
‘मोदी आर्काइव’ में कहा गया है कि Prime Minister Narendra Modi को आदिवासियों को खुश करने के लिए किसी Political मकसद की जरूरत नहीं थी. वह जानते थे कि India के आदिवासी समुदाय भी बाकी सभी लोगों की तरह ही गरिमापूर्ण जीवन जीने के हकदार हैं. उनकी आदिवासी नीति एक ऐसे नेता की कहानी कहती है जिसने Gujarat में एक प्रचारक के रूप में शुरुआत की, भूकंप के बाद पुनर्निर्माण किया और आगे चलकर पूरे India में लाखों आदिवासी परिवारों का आत्मविश्वास फिर से जगाया.
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डीसीएच/वीसी