नई दिल्ली, 19 जुलाई . केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को कहा कि निवारक स्वास्थ्य सेवा अब सामूहिक राष्ट्रीय और सामाजिक जिम्मेदारी है.
नई दिल्ली में ‘अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स इन इंडिया’ द्वारा आयोजित स्वास्थ्य सेवा शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण में पहुंचे डॉ. सिंह ने कहा कि अब निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के बीच का अंतर खत्म हो गया है.
उन्होंने कहा, ”निवारक स्वास्थ्य सेवा आज एक राष्ट्रीय और सामाजिक कर्तव्य है, जो केवल स्वास्थ्य पेशेवरों तक ही सीमित नहीं है.” उन्होंने किफायती चिकित्सा उपकरणों के शीर्ष वैश्विक निर्माता के रूप में भारत की मजबूत स्थिति और स्वास्थ्य सेवा को आगे बढ़ाने में मिलकर काम करने के महत्व को दोहराया.
इस सम्मेलन में स्वास्थ्य सेवा उद्योग, विशेषकर अमेरिकी व्यवसाय, सरकार और शिक्षा जगत के प्रमुख हितधारक मौजूद थे.
कार्यक्रम का उद्देश्य देश में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच, समानता और गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रमुख मसलों का समाधान और नई सोच के विकल्प तलाशना था.
नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद पॉल ने सामुदायिक सेवाओं में नवाचार और मिलकर काम करने पर जोर दिया. यह देश भर में 1,79,000 स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्रों के माध्यम से व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर सरकार के फोकस के अनुरूप है.
उन्होंने महामारी को लेकर तैयार रहने के बारे में चर्चा की ताकि प्रकोप के 100 दिन के भीतर टीके विकसित किये जा सकें. नीति आयोग के सदस्य ने स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में सुधार के लिए राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन लाइन के लिए सरकार के काम के बारे में बताया.
डॉ. पॉल ने कहा, ”नवाचार से लीवर और किडनी रोग जैसी क्रोनिक बीमारियों और हीमोग्लोबिन ए1सी जैसी बीमारियों की जांच में काफी प्रगति हो सकती है,” जिससे रोग का पता लगाने और प्रबंधन में सुधार हो सकता है.
शिखर सम्मेलन में स्वास्थ्य सेवाओं का स्वरूप बदलने के लिए नवाचार, अनुसंधान एवं विकास, तथा नीति और नियामक ढांचे पर फोकस किया गया.
‘अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स इन इंडिया’ की महानिदेशक सीईओ रंजना खन्ना ने कहा, ”शिखर सम्मेलन में स्वास्थ्य सेवा समाधानों को आगे बढ़ाने में भारत और अमेरिका के बीच महत्वपूर्ण सहयोग पर बात हुई.”
उन्होंने कहा कि नवाचार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता बिल्कुल स्पष्ट है. दोनों देशों के एकीकृत प्रयास हमें सार्वभौमिक स्वास्थ्य समानता और नवाचार की दिशा में आगे लेकर जाएंगे, जो आज की चुनौतियों को भविष्य के समाधानों में बदल देगा.
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एमकेएस/एकेजे