नई दिल्ली, 13 फरवरी . हिंसाग्रस्त मणिपुर में एन. बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के चार दिन बाद, गुरुवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया.
गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर और राज्य की परिस्थितियों की जानकारी के आधार पर संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया है. इस अनुच्छेद के तहत राज्य में संवैधानिक प्रणाली के विफल होने की स्थिति में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है.
अधिसूचना में कहा गया है, “…मैं घोषणा करती हूं कि मैं भारत के राष्ट्रपति के रूप में मणिपुर राज्य सरकार के सभी कार्यों और उस राज्य के राज्यपाल में निहित या उनके द्वारा प्रयोग की जाने वाली सभी शक्तियों को खुद लेती हूं.”
उल्लेखनीय है कि गत 9 फरवरी को एन. बीरेन सिंह ने मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने इंफाल राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंपा था.
भारतीय जनता पार्टी के पूर्वोत्तर प्रभारी संबित पात्रा और विधायकों के बीच कई दौर की चर्चा के बावजूद भाजपा सीएम पद के लिए नए नेता के नाम की घोषणा करने में विफल रही. पात्रा ने पिछले दो दिन में राज्यपाल से दो बार मुलाकात की. पात्रा ने 11 फरवरी को प्रदेश पार्टी अध्यक्ष ए. शारदा देवी के साथ भल्ला से बातचीत की और बुधवार को उन्होंने फिर राज्यपाल से मुलाकात की.
मणिपुर में जातीय हिंसा शुरू होने के लगभग 21 महीने बाद एन. बीरेन सिंह ने अपना पद छोड़ दिया था. इस हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए थे. केंद्र सरकार का कहना है कि वह मणिपुर की मौजूदा स्थिति पर नजर बनाए हुए है.
एन. बीरेन सिंह को राज्य में जातीय संघर्ष से निपटने के तरीके को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. उन्होंने पिछले वर्ष मणिपुर में हिंसा को लेकर जनता से माफी मांगी थी.
इस बीच, संकेत मिल रहे थे कि कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहा है. ऐसे में सीएम एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे को बड़े सियासी घटनाक्रम के तौर पर देखा जा रहा था. सियासी चर्चाओं की मानें तो कांग्रेस मौजूदा नेतृत्व से नाराज कुछ भाजपा विधायकों की मदद से सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर विचार कर रही थी.
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एकेएस/एकेजे