राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरि को दी श्रद्धांजलि

New Delhi, 10 अगस्त . राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने Sunday तो भारत के पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरि की जयंती पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की. राष्ट्रपति मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में वीवी गिरि के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनके योगदान को नमन किया.

प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पोस्ट में लिखा गया, “राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में भारत के पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरि की जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की.”

देश के चौथे राष्ट्रपति वीवी गिरि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण नेता और श्रमिक आंदोलनों का प्रमुख चेहरा थे. उनका जन्म 10 अगस्त 1894 को ओडिशा के बेरहामपुर में हुआ था. एक शिक्षित और जागरूक परिवार में जन्म लेने के कारण गिरि का प्रारंभिक जीवन से ही शिक्षा और राजनीति की ओर झुकाव था.

उनकी शिक्षा डबलिन, आयरलैंड में हुई थी जहां उन्होंने कानून की पढ़ाई की. डबलिन में रहते हुए वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रति जागरूक हो गए और वहां के छात्र आंदोलनों में भाग लेना शुरू कर दिया. उनके इस रुख ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित किया. वह महात्मा गांधी से प्रभावित होकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई.

गिरि का प्रमुख योगदान भारतीय श्रमिक आंदोलनों में देखा गया. वे अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस के संस्थापक सदस्य थे और श्रमिकों के अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष करते रहे. गिरि ने भारत में ट्रेड यूनियन आंदोलन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और श्रमिकों के अधिकारों के लिए लगातार आवाज उठाते रहे.

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान और बाद में भी, वीवी गिरि ने कई महत्वपूर्ण सरकारी और गैर-सरकारी पदों पर काम किया. वह 1937 में मद्रास प्रेसीडेंसी के श्रम मंत्री बने और 1946 में भारत सरकार के श्रम मंत्री नियुक्त हुए. उनके इस कार्यकाल में श्रमिकों के लिए कई महत्वपूर्ण सुधार किए गए, जिससे भारतीय मजदूर वर्ग के जीवन में सुधार आया. वह 1967 में उपराष्ट्रपति और 1969 में राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के निधन के बाद कार्यवाहक राष्ट्रपति बने. उसी वर्ष, उन्होंने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति चुनाव लड़ा और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के समर्थन से विजयी हुए.

पीएसके