सीतापुर, 5 जुलाई . इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम मुसलमानों के लिए विशेष महत्व रखता है. यह महीना पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के नाती इमाम हुसैन और उनके साथियों की 680 ईस्वी में कर्बला की जंग में शहादत की याद को समर्पित है. उत्तर प्रदेश के सीतापुर में भी अकीदत और सम्मान के साथ मुहर्रम के आयोजन की तैयारी है.
अंजुमन शमा हैदरी के अध्यक्ष मतलूब हैदर नकवी ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि मुहर्रम की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. 9 मुहर्रम को (शनिवार रात 8 बजे) अंजुमन शमा हैदरी का जुलूस शेख सराय स्थित हाजी साहब के इमामबाड़े से शुरू होगा. यह जुलूस अपने निर्धारित रास्तों से होता हुआ रात 11:30 बजे बड़े इमामबाड़े (इमामबाड़ा कलामे) पहुंचेगा. रात 12 बजे आग का मातम शुरू होगा, जिसमें बच्चे, नौजवान और बुजुर्ग शामिल होंगे. इस मातम में हर धर्म और समुदाय के लोग एकजुट होकर “या हुसैन, या हुसैन” के नारे लगाते हैं.
उन्होंने लोगों से अपील की कि वे शांति और सौहार्द के साथ जुलूस में शामिल हों और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें. कर्बला की घटना का संदेश भाईचारा और मोहब्बत है. इमाम हुसैन ने इस्लाम को राहत और शांति का संदेश देने वाला बताया.
उन्होंने जोर देकर कहा कि मुहर्रम गम का महीना है, न कि उत्सव का. यह इंसानियत और आपसी मेलजोल का संदेश देता है. उन्होंने कहा कि दुनियाभर में मुहर्रम का जुलूस शांति से निकाला जाता है और सीतापुर में भी इसे हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से निकाला गया है. उन्होंने प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील दोहराई और कहा कि जुलूस में कोई भी ऐसा काम नहीं होगा जो शांति भंग करे.
उन्होंने सभी समुदायों से एकजुट होकर इस गम में शामिल होने की अपील की. यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह भाईचारे और इंसानियत का प्रतीक भी है.
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एसएचके/एकेजे