ध्वज पूजन के चौथे दिन अधिवास संपन्न, ध्वजारोहण की तैयारियां तेज

अयोध्या, 24 नवंबर . श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में होने वाले ऐतिहासिक ध्वजारोहण समारोह की तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच गई हैं. चतुर्थ दिवस पर ध्वज स्नपन और विभिन्न अधिवास अनुष्ठानों के साथ पूरे परिसर में दिव्य-आध्यात्मिक वातावरण और अधिक प्रखर हो उठा. पावन मंत्रोच्चार के बीच पूजन का प्रत्येक चरण ध्वज, ध्वजदंड और पूजन स्थलों को दिव्य ऊर्जा से अभिषिक्त करने के संकल्प के साथ सम्पन्न हुआ.

Monday सुबह पूजन क्रम नित्य की तरह प्रात: 8 बजे से प्रारंभ हुआ. वैदिक मर्मज्ञ आचार्यों द्वारा गणपति पूजन, पंचांग पूजन और षोडश मातृका पूजन के बाद योगिनी, क्षेत्रपाल और वास्तु पूजन के क्रम पूरे हुए. नवग्रह पूजन तथा प्रमुख मंडलों विशेषकर रामभद्र मंडल का आवाहन कर परंपरानुसार आहुति और अनुष्ठान किए गए.

ध्वज पूजन के विशेष क्रम में सूर्य मंत्र के साथ आहुतियां समर्पित की गईं, क्योंकि ध्वज पर अंकित सूर्य भगवान श्रीराम के इक्ष्वाकु वंश का प्रतीक है. इसके उपरांत ध्वजमंत्र आहुतियां और ध्वज स्नपन परंपरा के अंतर्गत औषधि अधिवास, गंधाधिवास, शर्करा अधिवास और जलाधिवास संपन्न हुआ.

वैदिक परंपरा के अनुसार अधिवास का उद्देश्य ध्वज-पत्र, ध्वज-दंड, जल, कलश एवं समस्त पूजन सामग्री में दिव्यता का आवाहन कर उन्हें देवोपयोगी बनाना है. पूजन में यजमान डॉ. अनिल मिश्र सपत्नीक उपस्थित रहे. पूरे कार्यक्रम में मुख्य आचार्य चंद्रभान शर्मा, उपाचार्य रविंद्र पैठणे, यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य पंकज शर्मा सहित अन्य आचार्यों ने पूजन संपन्न कराया.

पूजन व्यवस्था की देखरेख आचार्य इंद्रदेव मिश्र एवं आचार्य पंकज कौशिक ने की. ध्वजारोहण से पूर्व यह सभी वैदिक अनुष्ठान निरंतर जारी हैं. अगले चरण में ध्वज पर शास्त्रीय विधि से अभिषेक व प्रतिष्ठा कर उसे 191 फीट की ऊंचाई पर शिखर पर आरोहित करने की प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी.

विकेटी/डीकेपी