भोपाल, 6 नवंबर . मध्य प्रदेश देश के उन राज्यों में से है, जहां जनजातीय आबादी ज्यादा है. राज्य में 21 फीसदी आबादी इस वर्ग से आती है. अब इस वर्ग के लिए बाजार विकसित किए जाने के प्रयास तेज हो गए हैं. राज्य के 19 जिलों में जनजातीय ग्रामीण हाट बाजार विकसित किए जाने की पहल की जा रही है.
जनजातीय कार्य, लोक परिसंपत्ति प्रबंधन तथा भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने कहा है कि देश के सभी जनजातीय बहुल गांवों के समग्र विकास एवं जनजातियों को देश में हो रहे चहुंमुखी विकास के प्रकाश का लाभ देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान में प्रदेश के 51 जिलों के 267 विकास खंडों में स्थित 11,377 जनजातीय बहुल गांवों का सर्वांगीण विकास किया जाएगा. इन 51 जिलों में 43 जनजातीय समुदायों के 18 लाख 58 हजार परिवार निवास करते हैं, जिनकी कुल 93 लाख 23 हजार आबादी इस अभियान से सीधे तौर पर लाभान्वित होगी.
जनजातीय कार्य मंत्री डॉ. शाह ने बताया कि अभियान में केंद्र सरकार द्वारा देशभर में 100 ट्रायबल मल्टी-पर्पज मार्केटिंग सेंटर (टीएमएमसी) या कहें जनजातीय ग्रामीण हाट बाजार तैयार करने की योजना है. इसमें ‘पहले आएं-पहले पाएं’ की तर्ज पर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय को जिस राज्य, केंद्र शासित प्रदेश से सबसे पहले प्रस्ताव मिलेंगे, उन्हें प्राथमिकता से यह टीएमएमसी आवंटित किए जाएंगे.
उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार ने इस दिशा में त्वरित एवं प्रगतिशील कदम उठाते हुए केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव को वित्त वर्ष 2024-25 में प्रदेश के 19 जिलों में एक-एक टीएमएमसी स्थापित करने का अधिकृत प्रस्ताव भेज दिया है.
जनजातीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. ई. रमेश कुमार ने बताया कि धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान में राज्य सरकार की ओर से केंद्र सरकार को प्रदेश के 19 जिलों में एक-एक टीएमएमसी (जनजातीय ग्रामीण हाट बाजार) स्थापना के लिए विधिवत प्रस्ताव भेज दिया गया है. प्रस्ताव के अनुसार 19 जिलों में यह टीएमएमसी एक-एक करोड़ रुपए लागत से लगभग 2,000 स्क्वायर मीटर लैंड एरिया में बनाए जाएंगे, जिसका बिल्ट-अप लैंड एरिया करीब 367.80 स्क्वायर मीटर होगा.
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एसएनपी/एबीएम