प्रयागपुत्र राकेश शुक्ला की श्रद्धालुओं से अपील, महाकुंभ पर्व है इसे मेला न बनाएं

महाकुंभ नगर, 30 दिसंबर . मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत महाकुंभ महज एक मेला नहीं, बल्कि करीब डेढ माह तक चलने वाला मिलन और सत्संग का महापर्व है. देश और विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए इस पर्व के विषय में जानना अति आवश्यक है, ताकि वह महाकुंभ के महात्म्य और मूल को समझ सकें और अधिक से अधिक इसका पुण्य लाभ प्राप्त कर सकें.

तीर्थ राज प्रयाग में प्रयाग पुत्र के नाम से फेमस राकेश कुमार शुक्ला ने महाकुंभ को लेकर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि महाकुंभ डिजिटल डिटॉक्स होने के साथ साथ पतित को पावन बनाने का पर्व है. उन्होंने कुंभ पर लिखी अपनी कॉफ़ी टेबल बुक में भी प्रमुखता से इसका उल्लेख किया है.

मेला विशेषज्ञ और 2019 कुंभ में केंद्र सरकार के विशेष सलाहकार रहे राकेश कुमार शुक्ला ने कहा कि कुंभ पर्व है, इसे मेला ना बनाएं. कुंभ को चार हिस्सों में बांटा जा सकता है. पहला आध्यात्मिक परिकल्पना, दूसरा प्रबंधन, तीसरा अर्थव्यवस्था और चौथा वैश्विक भागीदारी. हर श्रद्धालु के लिए यह समझना आवश्यक है कि कुंभ क्या है? क्यों मनाया जाता है? कैसे मनाया जाता है? और यह महाकुंभ कैसा होगा?

उन्होंने कहा कि इस धरती का एकमात्र धर्म सनातन वैदिक हिंदू धर्म है, जिसका उद्देश्य नर सेवा, नारायण सेवा के भाव के साथ मानव मात्र का कल्याण करना है. इसका विचार ऋषि मुनियों के सत्संग से शुरू होता है. महाकुंभ को ऋषि, मुनि, यती, योगी, संत, महात्मा और समाज मिलकर बनाते हैं. संतों का कुंभ के माध्यम से यह संदेश है कि व्यवसाय में धर्म होना चाहिए ना कि धर्म का व्यवसाय होना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक मिनट की रील की बजाय रियल जीवन जीना ही यहां कल्पवास का उद्देश्य है. उन्होंने महाकुंभ को ईश्वरीय संविधान की शक्ति से चलने वाला महत्वपूर्ण पर्व बताया.

एसके/एएस